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एक महत्वपूर्ण अंग की रचना की, उसके लिए कृतज्ञ न हुए, लेकिन रास्ते में ठोकर लग गयी, चोटग्रस्त हो गए तब ज़रूर परमात्मा को कोसा कि तेरे ही मंदिर आ रहा था और तने ही पाँव तोड़ दिया। जब शरीर को परमात्मा का प्रसाद समझकर जी रहे थे, तो पाँव के टूटने को भी उसी का प्रसाद समझ लो। जो भी मिल रहा है उसे प्रभु का प्रसाद मानकर अहोभाव के साथ स्वीकार कर लो तो गाली में से भी गीत के झरने फूट पड़ेंगे। __कहते हैं भगवान कृष्ण के सोलह हज़ार रानियाँ थीं फिर भी उन्हें अनासक्त योगी कहा गया है। सोलह हज़ार के बीच भी वह अनासक्त भाव से जी सके और तुम एक-दो के बीच भी कितने अधिक फँस चुके हो, कुछ अहसास है? कहीं ऐसा न हो कि यह शिविर यहीं रह जाए और हम पुनः आसक्ति के दायरे में उलझ जाएँ। हम आसक्ति के दलदल से ऊपर उठे । यह भाव आत्मसात् हो जाने दो कि सीमाओं से ऊपर उठकर मैं तो सारे ब्रह्माण्ड के लिए हो चुका हूँ। उस अनन्त ब्रह्माण्ड के लिए, जो मेरे अपने भीतर है।
एक बात सदा स्मरण में रखिए कि जब तक व्यक्ति स्वयं को उपलब्ध नहीं होता, तब तक धर्म के रास्ते भी गलियारों में चहल कदमी करने के समान होंगे। उसे शिखर के करीब पहुँचकर भी वापस तलहटी से यात्रा प्रारंभ करनी पड़ेगी। __अमरीका में दो दोस्त एक होटल की पचासवीं मंज़िल पर ठहरे। रात्रि में नौ से बारह का फिल्म शो देखने गए। अर्ध रात्रि के बाद वापस आए। लिफ्टमैन ने बताया कि लिफ्ट खराब हो गयी है। गर्मी का मौसम था। कोई सहारा न था। सीढ़ियों से पैदल ही चढ़ना पड़ेगा। चढ़े, दोनों पहली मंजिल पर पहुँचे। एक दोस्त ने दूसरे को सुझाव दिया जब पैदल ही चढ़ रहे हैं तो यह सामान और कोट वगैरह क्यों ढो रहे हैं। गर्मी है, यहीं उतार देते हैं, कल सुबह नीचे आकर वापस ले जाएँगे। सुझाव अच्छा लगा। वे वापस नीचे आए। अपना कोट और अन्य सामान लिफ्टमैन को दे दिया। फिर चढ़ना शुरू किया। पैंतालीस मंज़िल तक पहुँच गए, चढ़ते-चढ़ते थक गए थे। सोचा, अब तो पाँच मंज़िल ही हैं चलो! दो मंज़िल और चढ़े।अब तो तीन ही शेष हैं, चलो, एक मंज़िल और पार की। अचानक एक दोस्त को कुछ याद आया। उसने कहा, 'एक बात पूछ्', 'पूछो' दूसरा बोला। पहले ने कहा, 'अपन अड़तालीस मंज़िल आ गए हैं दो ही शेष है, पर रूम की चाबी कहाँ है।' 'रूम की चाबी' दूसरा घबराया, 'अरे रूम की चाबी तो कोट की जेब में ही रह गई' 'भैया अब तू ही बता अपन अड़तालीसवीं मंजिल पर हैं या पहली मंज़िल पर, इसका बोध तू ही कर ले,' पहले ने कहा।
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