Book Title: Dhyan Yog Vidhi aur Vachan
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 106
________________ Shastami tICERSONNE 5 69+0 साधना का सूत्र: S 000 अप्रमाद हमारी जिंदगी गहराई की दृष्टि से, खोज की ही एक दास्तान है। जब हम जीवन-विज्ञान को उसकी गहराई में जाकर देखते हैं, तो जीवन सिवा एक खोज के कुछ महसूस नहीं होता है। इसलिए केवल विज्ञान ही खोज नहीं है, उससे भी अधिक महत्वपूर्ण खोज जीवन है, जीवन की शंति है। उस खोज का नामकरण हम चाहे जो करें - भले ही उसे सुख या आनन्द कहें, निर्वाण या परमात्मा कहें, लेकिन मनुष्य का जब तक जीवन है तब तक खोज का सिलसिला जारी रहता है। जब व्यक्ति जगा रहता है तब भी खोज करता है, जब सो जाए तब स्वप्न में भी खोज प्रारम्भ हो जाती है। __ खोज में लगना और सुख में जीना, इसमें फ़र्क है, कुछ व्यक्ति जिंदगी भर तक खोज में लगे रह जाते हैं और कुछ खोज के परिणाम का आविष्कार कर लेते हैं। जफर ने गाया है - उमरे दराज माँगकर लाये थे चार दिन। दो आरजू में बीत गये, दो इंतजार में। मनुष्य की जिंदगी का आधा भाग तो आरजुओं को बनाने में ही बीत जाता है और शेष आरजू को कैसे पूरा करें इस सोच में । बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनकी खोज उपलब्धिपूर्ण होती है। वे अपनी खोज जीवन-निर्माण की दृष्टि से करते हैं | 105 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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