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साधना का
सूत्र:
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अप्रमाद
हमारी जिंदगी गहराई की दृष्टि से, खोज की ही एक दास्तान है। जब हम जीवन-विज्ञान को उसकी गहराई में जाकर देखते हैं, तो जीवन सिवा एक खोज के कुछ महसूस नहीं होता है। इसलिए केवल विज्ञान ही खोज नहीं है, उससे भी अधिक महत्वपूर्ण खोज जीवन है, जीवन की शंति है। उस खोज का नामकरण हम चाहे जो करें - भले ही उसे सुख या आनन्द कहें, निर्वाण या परमात्मा कहें, लेकिन मनुष्य का जब तक जीवन है तब तक खोज का सिलसिला जारी रहता है। जब व्यक्ति जगा रहता है तब भी खोज करता है, जब सो जाए तब स्वप्न में भी खोज प्रारम्भ हो जाती है। __ खोज में लगना और सुख में जीना, इसमें फ़र्क है, कुछ व्यक्ति जिंदगी भर तक खोज में लगे रह जाते हैं और कुछ खोज के परिणाम का आविष्कार कर लेते हैं। जफर ने गाया है -
उमरे दराज माँगकर लाये थे चार दिन।
दो आरजू में बीत गये, दो इंतजार में। मनुष्य की जिंदगी का आधा भाग तो आरजुओं को बनाने में ही बीत जाता है और शेष आरजू को कैसे पूरा करें इस सोच में । बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनकी खोज उपलब्धिपूर्ण होती है। वे अपनी खोज जीवन-निर्माण की दृष्टि से करते हैं
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