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नींद इतनी घातक नहीं है जितनी कि दिन की नींद घातक है। रात को बिस्तर पर सोया है उसे तो जगाया भी जा सकता है लेकिन जो दिन में चलते-चलते भी सो रहा है उसे जगाना कठिन है। उसकी मूर्छा गहरी है। जैसे किसी खतरे के क्षण में जितने सचेत रहते हो अगर जीवन भी इसी तरह सावधानी से जीओ तो बेहोशी तुम्हारे पास फटक नहीं पाएगी।
अगर तुम सोए-सोए जिंदगी पूरी कर रहे हो, तो जिंदगी तो पूरी कर लोगे पर उपलब्ध कुछ नहीं कर पाओगे। कुछ बन नहीं पाओगे। अगर किसी सत्तर वर्षीय वृद्ध से पूछो कि तुम्हारे जीवन की उपलब्धि क्या है? वह कहेगा दस लाख रुपये, दुकान, मकान, परिवार यही सब गिनाने के लिए उसके पास नाम हैं लेकिन इसमें उसकी अपनी उपलब्धि क्या है? इनमें कोई भी तो ऐसा नहीं है जो साथ निभा सके उसका मृत्यु के बाद। लेकिन इसके उपरांत भी मनुष्य इन सबको अपनी उपलब्धि मानता है। अनश्वर चेतना नश्वर को अपनी उपलब्धि मान रही है, अनश्वर नश्वर को ढूँढ़ा जा रहा है। यह सुषुप्ति है, स्वप्नावस्था है। पर से मुक्त होकर स्वयं में लौट आना, इसी का नाम जाग्रति है।
अप्रमाद का सूत्र है, इस बात की समझ आ आये कि मैं सोया हूँ। जब ऐसी समझ आ जाएगी तभी खोज शुरू हो पाएगी। जब तक रोगी को रोग का अहसास नहीं होगा तब तक वह दवा कैसे लेगा। नींद भी हमारे साथ इतनी गहरी जुड़ गई है कि हमें इसका बोध ही नहीं होता। धार्मिकता की शुरुआत तब होगी जब नींद का बोध, मूर्छा का बोध हो । बोध हमें स्वयं पैदा करना होता है। अगर डूबने से बचते रहे तो कभी तैरना नहीं सीख पाओगे। तैरना स्वयं को सीखना होगा, नदी किनारे पहुँचकर कहोगे कि पानी में पीछे जाऊँगा पहले तैरना सिखाएँ, तो तुम ज़िंदगी में तैरना नहीं सीख पाओगे। पाने के लिए खोना भी आवश्यक है और अगर खोने से कतराते रहे, तो पा कुछ नहीं सकोगे। दुनिया में बहुत से लोग होते हैं जो नदी किनारे जिंदगी परी कर देते हैं। लेकिन पानी में कभी उतर नहीं पाते, सोचते हैं पहले तैरना सीख लूँ फिर पानी में उतरूँगा।
ऐसा ही हुआ, एक युवक अपने कमरे में बिस्तर पर सोए-सोए हाथ-पैर चला रहा था। दूसरा दोस्त पहुँचा, पूछा भैया ! ये क्या कर रहे हो? बिस्तर पर क्यों हाथ-पैर मार रहे हो? उसने कहा, तैरना सीख रहा हूँ। वह चकराया, तैरना! वह भी बिस्तर पर, यह कैसे होगा! क्या बिस्तर पर कभी तैरना सीखा जा सकता है? ___ उसने कहा, सो तो ठीक है । बिस्तर पर तैरना तो नहीं सीखा जा सकता पर पानी में उतरने में भय लगता है कल को डूब गया तो! दोस्त मुस्कराया और बोला, जब
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