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और खोज की उपलब्धि के रूप में परम सत्ता से साक्षात्कार करना चाहते हैं। ___ जिसे हम परमात्मा की खोज कहते हैं, उसके दो मार्ग हैं। पहला यह है कि व्यक्ति परमात्मा में स्वयं को डुबो दे। परमात्मा के अस्तित्व को ही अपना अस्तित्व स्वीकार करे और दूसरा उपाय यह है कि स्वयं को इतना जगा ले कि अपना कुछ न बचे सिर्फ जागरूकता ही शेष बचे। ____ पहला मार्ग रामकृष्ण का है और दूसरा मार्ग महावीर और बुद्ध का है। नमक की तरह जल में घुल-मिल जाना, अहं-बोध को भी अहम् में विसर्जित कर देना रामकृष्ण और मीरा का मार्ग है और स्वयं को जागरूक बनाना,प्रखरता के साथ जीना महावीर और बुद्ध का मार्ग है। एक समर्पण का मार्ग है और दूसरा आत्म-विचार का।
धर्म हमेशा स्वभाव के अनुसार गति करता है। हमारा स्वभाव नारद, मीरा या रामकृष्ण के साथ अधिक अभियोजित होता है अथवा पतंजलि, महावीर और बुद्ध के साथ, हम समर्पण-मार्ग से परमात्मा से मिलना चाहते हैं या आत्म-विचार के मार्ग से परमात्म-उपलब्धि करना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है। इन दोनों मार्गों में कहीं कोई फ़र्क नहीं है। दोनों की मंज़िल एक ही दिशा की ओर है। और दोनों में से किसी एक की जीवन में सर्वतोभावेन उपलब्धि ही परमसत्ता से साक्षात्कार के लिए काफी है। वैसे समर्पण और संकल्प दोनों का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है अतः किसी एक की उपलब्धि दूसरे की सहज प्राप्ति है। बिना समर्पण के संकल्प दृढ़ नहीं होगा और बिना संकल्प के समर्पण।
चयन करना तुम्हारे हाथ में है कि तुम मीरा के मार्ग से भक्ति की पगडंडी से गुजरना चाहते हो या महावीर के मार्ग ध्यान से। प्रतिक्रमण करना चाहते हो या प्रार्थना, निर्णय तुम्हारे हाथ में है। भक्ति के मार्ग में खुदा में खुद को खोना है और ध्यान के मार्ग में खुद में खुदा को उपलब्ध करना है। ध्यान का मार्ग महावीर और बुद्ध का मार्ग है। यह वह मार्ग है जहाँ व्यक्ति स्वयं में प्रविष्ट शत्रुओं से स्वयं ही युद्ध करता है और स्वयं ही विजेता बनता है। आत्म-विजय की अलख जगाने के लिए ही यह ध्यान-शिविर आयोजित किया गया है।
मैं खोने की बात नहीं करता, मैं उपलब्धि और जागरूकता की बात कहता हूँ। खोजना किसको है, अगर तुमने स्वयं को ही खो दिया तो बचाया ही क्या? और यदि स्वयं को उपलब्ध कर लिया तो पाने को शेष बचा ही क्या? इसलिए इस शिविर में मेरी मूल प्रेरणा यह रही कि जैसे-तैसे हम अपने आप में लौट आएँ । स्वयं में स्वयं की भगवत्ता को ढूँढे और उपलब्ध करें।
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