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केवल माटी को हटाने का ही हुआ । यह ध्यान शिविर उसी माटी को हटाने का उपक्रम है और अगर यह माटी हट गई, तो हमें पता लगेगा कि हमारे भीतर अनन्त ज्ञान मौजूद है, अनंत शक्ति मौजूद है, अपरिसीम शांति और आनंद है। प्रयास आनंद को पाने का नहीं करना है, आवरण को हटाने का कारण है। जैसे कहीं कोई दीप जल रहा हो और हमने उसके आगे काले पर्दे लगा दिये हैं । अब उस दीपक का प्रकाश किसी को दिखाई नहीं दे रहा है। इसका अर्थ कदापि यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि दीपक बुझ चुका है। वह तो अभी भी प्रज्वलित है । आवश्यकता है आवरणों को हटाने की ।
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जिसने भी आनन्द को पाया है, अपने ही भीतर पाया । अपने से बाहर जीकर कोई शांति या आनन्द को नहीं पा सका है। इसलिए महावीर और सिकंदर के जीवन का हम बारीकी से निरीक्षण करें तो पता लगेगा कि सिकंदर ने सब कुछ पाकर भी सार को नहीं पाया था और महावीर ने सब कुछ खोकर भी सब कुछ पा लिया ।
लोगों की जो शिकायतें हैं वे बेवाजिब नहीं हैं कि दुनिया में शांति नहीं मिलती। मिलेगी कहाँ से? जो चीज जहाँ है ही नहीं, वहाँ उसकी चाहे जितनी तलाश कर लो, वह तलाश एक अन्तहीन खोज बनकर रह जायेगी, पर तुम सफल नहीं हो पाओगे ।
बाहर
सुई अगर घर में खोई है तो घर में ही मिलेगी। माना घर में अँधेरा है, प्रकाश है, पर इससे क्या ! वह बाहर का प्रकाश हमें उस सुई की उपलब्धि नहीं करा सकता, जो घर के भीतर खोई हो । मनुष्य के साथ भी तो ऐसा ही हो रहा है। चूँकि हमारी इंद्रियों के सारे निमित्त बाहर से जुड़े हैं, इसलिए हमारी तलाश बाहर से जुड़कर रह जाती है । अज्ञानी शांति के स्रोत को बाहर ढूँढ़ता है और ज्ञानी स्वयं में ही उपलब्ध कर लेता है ।
खोज स्वयं से प्रारम्भ होनी चाहिए, पर से नहीं। पहले अपने घर में खोजें अगर वहाँ न मिले तो दुनिया में खोजने जाएँ। तुमने सारी दुनिया में खोज लिया, पर वहाँ तो ढूँढ़ा ही नहीं जहाँ तुम हो। इस विराट दुनिया में सब खोजकर आ गये, पर अपने छोटे से घर में तुम न खोज पाये । छोड़नी है अब बाहर की यात्रा को और प्रवेश करना है अन्तर की यात्रा में। ‘वह ' जिसकी तलाश हम युगों से कर रहे हैं, हमारी अंतर - गुहा में विराजमान है ।
धर्म की जिज्ञासा का संबंध मात्र इस बात से नहीं है कि आप चर्चाएँ करते रहें, प्रश्न उठाते रहें- ईश्वर है या नहीं ? स्वर्ग-नरक है या नहीं? जगत् को किसने बनाया? आत्मा एक है या अनेक ? अब भला इन सबकी खोज से तुम्हें मिल भी क्या जायेगा? अध्यात्म की जिज्ञासा में प्रवेश करो और जिज्ञासा अपने आपकी अपने
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