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हूँ कि ध्यान में गहराई के लिए विचार और वह मन जिससे विचार उठ रहे हैं, उसे मौन हो जाने दें। मुक्ति के लिए मनोमौन ज़रूरी है। ___ अगर दिन में आठ घंटे विचारों से घिरे रहते हो तो अस्सी मिनट निर्विचार हो रहो। यह भी न हो सके तो आठ मिनट से शुरू करो। तुम देखोगे निरन्तर चलते विचार जो आनन्द न दे सके, शांत होकर बैठने पर अनुपम आनन्द का अनुभव होने लगेगा। अगर कोई चौबीस घंटे सोया रहे तो नींद का आनन्द ले पाएगा? कोई आराम अनुभव करेगा? अगर नींद का, शारीरिक आराम का सुख पाना है तो ज़रूरी है तुम जगो। सुस्ती को तोड़ो भी, स्फूर्ति में आओ भी।
दो तरह के मनुष्य हैं, एक विचार करने वाला और दूसरा विश्वास करने वाला। लेकिन जिसने सिर्फ विचार किया वह भी कुछ न पा सका और जिसने बगैर जानेविचारे विश्वास किया वह भी अधूरा ही रहा। बिना विचारे अगर तुम विश्वास में जीने लग गए तो तुम्हारा जीवन अन्ध-विश्वास का अनुगामी हो जाएगा। और जो सिर्फ विचारों में जीते हैं वे विचारों का आविष्कार तो कर लेते हैं पर जीवन के आविष्कार से वंचित रह जाते हैं। जीवन सुख-शांति-संतोष से खाली हो जाता है। आप जानते हैं अमेरिका में सबसे ज्यादा मनोचिकित्सक पाए जाते हैं, क्यों? क्योंकि वहाँ का मनुष्य सबसे अधिक विचार करता है । दिन-रात, सोते-जागते, उठते-बैठते एक ही प्रक्रिया चल रही है विचारों की। परिणामतः उसकी नींद हराम हो गई। अनुसंधानों से पता चला है कि न्यूयार्क की तीस फीसदी जनता बिना नींद की गोली लिए सो नहीं पाती। एक समय ऐसी स्थिति भी आ सकती है कि सौ फीसदी लोगों को नींद की गोली लेनी पड़े क्योंकि विचारों का अन्तद्वंद्व तेजी से बढ़ रहा है। स्वयं को निर्विचार करने की, शांत रहने की क्षमता उनके हाथ से निकल गई है। ध्यान निर्विचार होने का, शान्त मनस् होने का उपक्रम है।
मनुष्य का मस्तिष्क विचारों से बोझिल होता जा रहा है, विश्वास के द्वारा अन्धविश्वास में जकड़ रहा है। परिणामस्वरूप नब्बे प्रतिशत लोग तनाव में जी रहे हैं। भीतर-ही-भीतर अशान्त वातावरण के साथ जी रहे हैं । मेरा तो मत है कि हमारी आज की शिक्षा पद्धति को बदला जाना चाहिए। उसमें ध्यान का समावेश होना चाहिए ताकि व्यक्ति जो विचार उपार्जित करे उनसे मुक्त होने का उपाय भी सीख सके। तुम जहाँ हो वहीं पूरी तरह हो सको यह कला जाने सको। नहीं तो तुम डॉक्टर बन गए और जब रसोई में गए तो मरीजों का ख्याल लेकर जाओगे, भोजन में पूरा रस नले पाओगे और जब क्लीनिक गए तो भोजन के स्वाद के बारे में विचार करोगे, ऐसे में मरीज का क्या हाल होगा भगवान जाने । तुम एक व्यापारी हो और दुकान में बैठे
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