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दीप जले जागरण का
एक फ़कीर के पास चार युवक पहुँचे। उन्होंने कहा, 'फ़कीर साहब! हम आपके पास रहकर साधना करना चाहते हैं।' फ़कीर ने कहा, 'ठीक है, पर मेरे पास रहने से पहले तुम्हें परीक्षा से गुजरना होगा।' युवक तैयार हो गए। फ़कीर ने अपनी शक्ति से चार कबूतर रचकर उन चारों को दिए और कहा, 'इन कबूतरों को तुम अलग-अलग स्थानों पर ले जाओ। जहाँ तुम्हें ऐसा लगे कि यहाँ निर्जन है, जहाँ तुम्हें कोई देखने वाला नहीं है, वहाँ इन कबूतरों की गर्दन मरोड़ देना।'
चारों युवक रवाना हो गए। साँझ के समय एक युवक गली में से गुजर रहा था। गली एकदम सुनसान थी। उसने चारों ओर देखा, कोई दिखाई न दिया। उसने तुरंत कबूतर की गर्दन मरोड़कर हत्या कर दी। युवक फ़कीर के पास पहुँचा और बताया कि, 'मैंने एक सुनसान, निर्जन गली में कबूतर की हत्या कर दी, जहाँ कोई देखने वाला भी न था।' फ़कीर यह सुन मुस्कराए।
दूसरा युवक कबूतर को लेकर नगर के बाहर एक वृक्ष के नीचे पहुँचा, सोचा जंगल है, यहाँ कोई देखने वाला न था। चारों ओर देखा और कबूतर की गर्दन दबा दी। उसने आकर फ़कीर को बताया कि 'सुनसान जंगल में वृक्ष के नीचे, जहाँ कोई नहीं देख रहा था कबूतर की गर्दन मरोड़ दी।' फ़कीर फिर मुस्कराए।
तीसरे युवक ने सोचा यहाँ तो वृक्ष, चिड़िया, आकाश, सूरज सभी देख रहे हैं।
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