Book Title: Dhyan Yog Vidhi aur Vachan
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 76
________________ बैठे अपनी पत्नी, स्नेही, परिवार या बच्चों के बारे में खयालों से उलझे रहे हो तो वह विचारों की निरर्थक उठापटक के अलावा क्या है? हम अपने ढाई किलो के सिर में टनों विचार का बोझा उठाए फिरते हैं। सिर में एक कोहराम मचा हुआ है। जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। ध्यान वास्तव में तुम्हें निर्विचार करने की प्रक्रिया है। तुम जिस कार्य में प्रवृत्त हो अपने पूरे अस्तित्व के साथ उसमें प्रवृत्त रहो, तो तुम्हारे दिमाग का कूड़ा-कर्कट अपने आप बाहर निकल जाएगा या कचरा जमा ही न होने पाएगा। अन्यथा करोगे तुम सामायिक लेकिन उसमें भी तुम दूधवाले और शाकभाजी वाले की फिराक में रहोगे। माला तो गिनते रहोगे लेकिन बहू का खयाल विस्मृत न कर पाओगे। मंदिर में परमात्मा का दर्शन करते हुए भी नोटों के बंडल ही दिखाई देंगे। क्योंकि तुम्हारे दिमाग में सतत यही चल रहा है। सोचो क्या हर समय मस्तिष्क को इस प्रकार भारभूत बनाए रखना है? यह हो क्या रहा है? परमात्मा ने तुम्हें जीवन दिया फिर भी तुम खुशी और आनन्द से नहीं जी पाते। उसने सारी सुखसुविधाएँ दी, विज्ञान ने भौतिक साधन उपलब्ध कराए फिर भी सुख और आनन्द कहीं खो गया है। यहाँ जो भी आता है कोई-न-कोई शिकवा-शिकायत लेकर आता है। कुछ-न-कुछ जिंदगी में दुःख का कारण बना हुआ है सुख छिनता चला जा रहा है। अपने जीवन को जितने आनन्द, उत्सव और धन्यता के साथ जी सको, जीने की कोशिश करो। तनाव, भारीपन, अवसाद के साथ अगर सौ वर्ष भी जी लिए तो सारी जिंदगी बेकार जीए। प्रसन्नता, उत्सव, उल्लास के साथ अगर एक वर्ष भी तुम जी चुके हो तो वह जीवन को जीने की संज्ञा दे जाएगा। जिंदगी प्रसन्नता से न जी सके तो मृत्यु भी विषाद ही प्रतीत होगी। मृत्यु को सहज समाधिमय बनाना चाहते हो, जिंदगी में अमन-चैन कायम करना चाहते हो, आराम से जीवन बिताना चाहते हो तो अपने मस्तिष्क में मँडराने वाले अनर्गल विचारों से स्वयं को मुक्त करें। प्रात:कालीन चैतन्य-ध्यान की औषधि आपको ऊर्जस्वित मानसिकता के लिए ही दी जाती है। जैसे सुबह दवा की गोली खाते हो तो उसका प्रभाव शाम तक रहता है और शाम को ली हुई गोली का असर सुबह तक रहता है, ठीक वैसे ही सुबह किये गये चैतन्य-ध्यान का प्रभाव शाम तक और शाम को किए गए संबोधि-ध्यान का प्रभाव सुबह तक रहना चाहिए। अगर आप निरंतर प्रतिदिन सुबह-शाम ध्यान करते रहे तो आपका जीवन आनंद, उत्सव और धन्यता से सराबोर बन जाएगा और निरर्थक विचारों के गोल चक्कर से बचे रहोगे। रात के सारे विचार सुबह के ध्यान में पीछे छूट गए और दिनभर के निरर्थक विचार संध्या के ध्यान में विलीन हो गए। सुबह और शाम का ध्यान हमारे जीवन में दी जाने वाली एक औषधि है जिससे पूरा जीवन आनन्द से जी सकें। 175 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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