Book Title: Dharm Jain Updesh
Author(s): Dwarkaprasad Jain
Publisher: Mahavir Digambar Jain Mandir Aligarh

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ ४ २ ) प्रिय बंधुवर्ग - प्रथम हम अपने इष्टदेव परमात्मा को प्रली कर नमस्कार करते हैं जो हमारे परम मंगल के कर्ता है हो द्वितीय - हम श्रीमान महामान्य सम्राट पंचम जार्ज ( George V Emperor ) को हार्दिक धन्यवाद देते हैं कि जिनके राज्य में स्वतंत्रता पूर्वक धर्म साधन करते हैं तृतीय - राजा महाराजाओं को जैसे जैपुर, जोधपुर, उदैपुर धौलपुर, ग्वालियर, अलवर, दतिया, पटयाला हैदरावाद दमन, टोंक, कोटा, बूंदी, इन्दोर, अलीराजपुर, भावनगर, बरोदा, बीकानेर बशाहर, वस्तर, भोर, वनगनापल्ले, भरतपुर, भोपाल, कोचीन, २ छोटा नागपुर स्टेट, चम्बा, कच्छ, केम्बे, कुर्ग, देवास 8. Br, देवास, JBr. दरभंगा, धार, गोडाल, हिलटिपेरा, ईडर, जावरा, जम्बू, जैसलमेर, भोंद, जंजीरा, झालरापाटन, खेतरी, कोल्हापुर, काशमीर, किशनगढ़, कूंचविहार, कपूरथला, खैरपुर, काठियावाड़, मैसौर, १७ महल उड़ीसा, मनीपुर, मुरसान, नाभा, पन्ना, पालीताना, पुडूह कोट्टाई, राजगढ़, (व्यावरा), रीबों, रतलाम, राजपीपला, रामपुर सीकर, साहपुरा, सिरोही. सीरमूर, सैलाना, २३ शिमला पहाड़ी रियासतें, सामंतवाड़ी, संदूर, ट्राभनकोर, टेहरो। जो समस्त १०८ वडे छोटे राज्य हैं अलावे इसके और बहुत से छोटे २ राज्य ठिकाने हैं उन सबको हम अन्तःकरण से धन्यवाद देते हैं । कि जिनके राज्य में न्याय पूर्वक धर्म साधन करते हैं हमारे ऐसे राजा महाराजाओं का शासन अटल रहे । प्रकट हो कि ऐसी प्रार्थना और भावना हम जैनी लोगों की है और जो धर्म हम लोग साधन करते हैं उसका छठा अंश सम्राट और राजाओ को पहुँचता है यह शास्त्र प्रमाण है । श्री दि० जैन धर्म प्रभावनी सभा के पहले अधिवेशन पर जो श्रीमान महोदय बाईसराय गवर्नर जनरल वहादुर को तार व प्रेग के समय जोपत्र सभाकी तरफसे भेजे गए उनके उत्तर हम यहां पाठकों, के जानने के वास्ते प्रकाशित करते हैं। द्वारकापरशाद जैन : सभापति श्री दि० जैन धर्म प्रभावनी सभा साँभर लेक

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 151