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१२७-१२८
. नं० विपय अनुक्रमणि का . पत्र नम्बर नोट-१७ वेसे घेर को शांति नहीं . . १२५-१२६ १८ बहु घोजे का स्वरूप :
, के फल .. १२७ जैन धर्म ज्योत के उपाय विचारने योग्य प्रश्न गृहस्थ के कर्तव्य .
१२-२८ जैनियों के चिन्न पढने योग्य शास्त्र
उद्देश २५ "जिन" का श्रयः ।
नीति वाक्य
सम्यक्ती को पहिवान २८ उपदेश
१३०-३३१ २१ जन धर्म सिद्धांत - ... १३१
स्त्री शिक्षा पर मुनि श्री शांति सागर जी
महाराज का उपदेश । ३१ अरहन्त सिद्ध भगवान के मूलगुण १३२-१३३ ३२ दीर्घ चेतावनी ३३ हमारी प्रार्थना, पार्शीवाद .. . ,
मेरी भावना व निवेदन . . १३४-३५ ३५ प्रात्मा ज्ञान माला "
. १३५ ३६ . . भाई से भाई को प्रोति.. . ३७ अंतिम प्रार्थना
मन को (ॐ) में स्थिर करों।