________________
(४)
अन्तिम दशक) ने 1800 ग्रन्थान प्रमाण धर्मपरीक्षा की रचना की। उनके कुमारपाल प्रबन्ध (सं. 1412) तथा श्राद्धगणसंग्रहविवरण (सं. 1498) ग्रन्थ भी उपलब्ध होते हैं। 7. श्रुतकीति कृत धर्मपरीक्षा
भट्टारक श्रुतकीति नन्दिसंघ बलात्कारगण और सरस्वतीगच्छ के विद्वान, देवेन्द्र कीति के प्रशिष्य और त्रिभुवनकीति के शिष्य थे । उनका समय वि. की सोलहवीं शती सिद्ध होती है। वे मालवा के निवासी थे। उन्होंने धर्मपरोक्षा की रचना वि. सं. 15 2 (ई. 1496) में अपभ्रंश में की। इसके अतिरिक्त उनके हरिवंशपुराण, परमेष्ठी प्रकाशसार और योगसार ग्रन्थ भी उपलब्ध है ।
8. पार्श्वकीति कृत धर्मपरीक्षा (17 वीं शताब्दी) :1 9. रामचंद्र कृत धर्मपरीक्षा
पूज्यवादान्वयी पदमनन्दी के शिष्य रामचंद्र (17 वीं शताब्दी) ने देवचन्द्र के अनुरोध पर संस्कृत में धर्मपरीक्षा की रचना 900 श्लोक प्रमाण में की।
10. मानविजयगणि कृत धर्मपरीक्षा
तपागच्छीय जयविजयगणि के शिष्य मानविजयगणि (वि. की 18 वीं शताब्दी) ने अपने शिष्य देवविजय के लिए संस्कृत में रचना की ।'
11. विशालकीति कृत धर्मपरीक्षा (शक सं. 1729) 12. नयसेन कृत धर्मपरीक्षा
नरेन्द्रसेन के शिष्य नयसेन ने ई. सन् 1125 में संस्कृत-कन्नड मिश्रित धर्मपरीक्षा ग्रन्थ लिखा। वे धारवाड़ जिले के मलगुन्दा नामक गांव के निवासी थे
और 'विद्यचक्रवर्ती' कहलाते थे । धर्मपरीक्षा के अतिरिक्त उनके दो और ग्रन्थ मिलते हैं- धर्मामृत और कन्नड व्याकरण ।
13. मनोहर कृत धर्मपरीक्षा |
कवि मनोहर धामपुर के निवासी और आसू साह के स्नेह भाजन थे । उन्होंने हीरामणि के उपदेश तथा सालिवाहण आदि के अनुरोध से धर्मपरीक्षा की रचना सं . 1775 में की। इसमें हिन्दी के 3000 पद्य हैं ।
_14. वादिसिंह रचित धर्मपरीक्षा (लगभग 16 वीं शताब्दी)' 1. जिनरत्नकोश, P. 190. 2. जिनरत्नकोश पृ. 190. 3. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग 6, डॉ. गुलाबचंद्र चौधरी, वाराणसी
1973, P. 275
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org