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3. वृत्तविलासकृत धर्मपरीक्षा
इसके रचयिता कन्नड कवि वृत्तविलास हैं जिनका समय ई. 1160 निर्धारित किया गया है | आर. नरसिंहाचार्य ने उनकी गुरुपरम्परा का उल्लेख इस प्रकार किया है- व्रती शुभकीर्ति सिद्धांती माधवनन्दि- यति भानुकीर्ति-धर्मभूषण - अमरकोर्ति- वागीश्वर - अभयसूरि । यह धर्मपरीक्षा कन्नड भाषा में चम्पू शैली में रचित ललित काव्य है जो दश आश्वासों में विभक्त है । इस पर श. सं. 1770 में चन्द्र सागर ने कन्नड गद्य में टीका लिखी है । वृत्तविलास की यह धर्मपरीक्षा अमितगति की धर्मपरीक्षा पर आधारित है ।
'नरसिंहाचार्य ने 1904 ( मैंगलोर) में प्राक्काव्यमाला कर्नाटक कविचरिते' में इस ग्रन्थ का कुछ भाग प्रकाशित किया था ।
4. सौभाग्यसागर कृत धर्मपरीक्षा
इसकी रचना श्रीपाल चरित्र के रचयिता लब्धिसागरसूरि (सं. 1557 ) के शिष्य सौभाग्यसागर ने सं. 1571 ( ई. 1515) में की जिसका संशोधन अन्तहंस ने किया । यह ग्रन्थ संस्कृत भाषा में है और सोलह परिच्छेदों म विभक्त है ।
5. पद्मसागरगणिकृत धर्मपरीक्षा'
यह तपागच्छीय धर्मसागर के शिष्य पद्मसागरगणि की रचना है जिसे उन्होंने सं. 1645 ( ई. 1589) में लिखी। इसमें कुल 1474 श्लोक हैं जिनमें लगभग 1250 तो अमितगति की धर्मपरीक्षा से आकलित किये गये है । 3 कथा तो वही है पर श्वेताम्बर मतानुसार जहां कहीं परिवर्तन कर दिया गया है फिर भी दिगम्बर सिद्धांत उसमें बचे रह गये है ।
6. जिनमण्डनगणिकृत धर्मपरीक्षा '
तपागच्छीय सोमसुन्दर के शिष्य जिनमण्डनगणि ( 15 वीं शताब्दी का 1. जिनरत्नकोश, P. 190; मुक्तिविमल जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक 13, अहमदाबाद.
2. जिनरत्नकोश, P. 190; देवचंद्र लाल भाई पुस्तक ( सं. 15 ). बंबई, 1913; हेमचन्द्र सभा, पाटन, सं. 1978
3. तुलनार्थ दृष्टव्य- जैन हितेषी भाग 13, p. 314. आदि में प्रकाशित प. जुगल किशोर मुख्तार का लेख "धर्मपरीक्षा की परीक्षा," जैन सहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, P. 586, टिप्पण 513.
4. जिनरत्नकोश, P. 190; जैन आत्मानन्द सभा (सं. 97), भावनगर, सं.
1974
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