________________
पळ संख्या पृष्ठ संख्या चर्चा संख्या
पृष्ठ संख्या २१२ कोई कहते हैं कि जैनधर्म नास्तिक मत है इसलिये केबली प्रणीत धर्मका स्मरण किया सो इसमें माचार्य, प्रशंसनीय नहीं है। चाहे हाथीसे दबकर मर जामा
उपाध्यायोंको क्यों छोड़ दिया इसका क्या कारण है। ५६७ चाहिये पर जैन मन्दिरमें नहीं जाना चाहिये। इसका चर्चासागर किन-किन अन्योंसे लेकर बनाया है इसमें समाधान
अनेक ग्रन्थोंके श्लोक देकर शास्त्रको क्यों बढ़ाया, क्यों परिश्रम किया नाम ही कह देने ये
५७१ २५३ जैन ने सारः स्नान मजाले सो कोन
यदि किसोके हृदय में प्रमाणरूप शास्त्रोंके वचनोंको देख
कर भी संदेह दूर न हो तो क्या करना चाहिये अपनो २५४ नमस्कार मंत्रमें पंच परमेष्ठीको स्मरण किया परंतु
लघुता पत्तारि मंगल आषि पाठमें अरहंत, सिख, साघु और
मास्त्र बनाभेका कारण
५७२