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राय धोबीने गेहतो || चिवरे राय राणी तणां ॥ सा०॥ मोकलियां वरनेह तो ॥ ४ ॥ आज ज धोई आपज्यो ॥ सा० ॥ महोच्छव कौमुदी काल तो ॥ रजक कहे सुणो माहरे ॥ सा० ॥ कुटुंब सहित व्रत पाल तो ॥ ५ ॥ धो चौदस दिने ॥ सा० ॥ तव नृप बोले जाणतो ॥ नृप आणाये नियम शो ॥ सा० ॥ जेहथी जाये प्राण तो ॥ ६ ॥ सज्जन शेठ पण एम कहे ॥ सा० ॥ एहमां हठ नवि ताणतो || राजकोप अपभ्राजना ॥ सा० ॥ धर्म तणो पण हाणतो ॥ ७ ॥ वळी रायाभियोगेणं ॥ सा० ॥ छे आगार पचखाण तो ॥ तव धोबी चित्त चिंतवे ॥ सा० ॥ दृढता विण धर्म हाणतो ॥ ८ ॥ धोवुं नवि मान्युं तिले ॥ सा० ॥ राय सुणी ते वात तो ॥ कुटुंब सहित निग्रह करूं ॥ सा० ॥ काल जो हुं नृप साच तो ॥ ९ ॥ दैव योगे ते रातमां ॥ सा० ॥ शूल व्यथा नृप थाय तो ॥ हाहाकार नगर थया ॥ सा० ॥ इम दिन ऋण वही जाय तो ॥ १० ॥ पडवे दिन धोइ करी || सा०|| आप्या वस्त्र ते राय तो ॥ व्रत निर्वाह सुखे थयो ॥ सा० ॥ धर्म तणे सुपसाय तो ॥ ११ ॥
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