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हेलामांहे आवियाजी, ज्या छे नेमि कुमार ॥ मुखथी मीटुं बोलतांजी, होय रोष अपार ॥ सुणो० ॥ ८ ॥ कृष्ण कहे सुणो राजीयाजी, नेमि नीरुपम नाम || बल परीक्षा इहां कीजीएजी, आछे अनोपम ठाम ॥ सुणो० ॥ ९ ॥ कृष्णे कर लंबावीयोजी, झाली नेम कुमार ॥ कणयर कांब जिम वालीयोजी, क्षण नव लागी वार ॥ सुणो० ॥ १० ॥ कृष्ण कर धर्यो नेमनोजी, वाल्यो किमही न जाय ॥ नेमे कृष्ण धंधोलीओजी. हरी मन झांखो थाय ॥ सुणो० ॥ ११ ॥ कृष्ण वल्या घर आपजी, चित हृदय मोझार ॥ बत्रीस सहस अंतेउरी जी, बोलावी घर नार ॥ सुणो० ॥ १२ ॥ नेम कुंवर छे लाडकाजी, बंधव श्याम शरीर || विवाह तास मनावाजी, पेहेरो कंचुक चीर ॥ सुणो ॥ १३ ॥
|| ढाल || टोले मीली सवि हरनी नारी, प्रमदा पहोती गढ गीरनारी, खंडोखली माहि भरीउ नीर, झीले पहेरी आछां चीर ॥ १ ॥ नेम तणो इम झाली हाथ, हास्य विनोद करती नेम साथ || सोवन सिंगी नीरे भरी, छांटे नेम कुंवरने फीरी ॥ २ ॥ एक मुख
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