Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand
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Achar
५०२
धीया ए, बुझी राजुल नार तो ॥ ३ ॥ अथीर जाणी संयम लीयो ए, अंबा जय जयकार तो ॥ पाये झांझर झम झमेए, नाचे नेम दरबार तो ॥ श्याम वर्णना नेमजीए, शंख लंछन श्रीकार तो ॥ कवी नमी कहे रायने ए, परण्या, शिव सुंदरी नार तो ॥ ४ ॥
॥ श्री पार्श्वनाथजीनी स्तुति. ॥ ॥श्री पास जिनेसर, पुजा करुं त्रण काल॥ मुज शिवपुर आपो, टालो पापनी जाल ॥ जिन दरसण दीठे, पोचे मननी आस ॥ राय राणा सेवे, सुरपती थाये दास ॥ १ ॥ विमलाचल आबु, गढ गिरनारे नेम, अष्टापद समेत शिखर, पांचे तीरथ एम ॥ सूर असूर विद्याधर, नर नारीनी कोड ॥ भली जुगते वांदू ध्यावु बेकर जोम ॥२॥ साकरथी मीठी, श्री जिन केरी वाणी ॥ वह अरथ विचारी, गुंथी गणधर जांणी ॥ तेह वचन सुणीने, मुज मन हर्ष अपार ॥ भव सायर तारो, वारो दुर्गती वार ॥३॥ काने कुंडल झलके, कंठे नवसर हार ॥ पदमावती देवी, सोहे
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