Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

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Page 527
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ अथ श्री नेमनाथ जिन स्तुति ।। ॥ श्री गिरनारे जे गुण नीलो, ते तरण तारण त्रिभोवन तिलो ॥ नेमीशर नमिये ते सदा, सेव्यो आपे सुख संपदा ॥ १ ॥ इंद्रादिक देव जेहने नमे, दर्शन दीठे दुःख उपशमे ॥ जे अतीत अनागत वर्तमान, ते जिनवर वदूं वर परधान ॥ २ ॥ अरिहंतें वाणी उच्चरी, गणधरे ते रचना करी ॥ पीस्तालीश आगम जाणीयें, अर्थ तेहना चित्तें आणीयें ॥ ३ ॥ गढ गिरनारनी अधिष्टायिका, जिनशासनी रखवालिका ॥ समरूं सा देवी अंबिका, कवि उदय रत्न सुखदाइका ॥ ४ ॥ इात ॥ ॥ अथ श्री नेमनाथ जिन स्तुति ।। ॥श्री गिरनार शिखर सिणगार, राजीमती हीयडानोहार, जिनवर नेमकुमार ॥ पुर्णकरुणा रस भंडार, उगार्यो पशुआं अंबार, समुद्र विजय मल्हार ॥ मोर करे मधुरां किंगार, विचे विचे कोयलनो टहुँकार, सहसे गमे सहकार ॥ सहसा वनमा हुआ अणगार, प्रभुजी पाम्या केवलसार, पोहोता मुगति मझार ॥१॥ श्री शत्रुजय तीरथ सार, आबु अष्टा 33 For Private And Personal Use Only

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