Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

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Page 536
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२३ दोय प्रकार, अरिहंत चेइआणुं बीजेजी ॥ चोविस स्थामां दोय प्रकार, स्तुत स्तव दोय लीजेजी। सिद्ध स्तवमां पांच प्रकार, ए बारे अधिकारोजी ॥ जित नियुक्तिमाहे भांख्या, तेहमा ए विस्तारोजी ॥३॥ तंबोल पाण भोयण वाहण, मेहण एक चित्त धारोजी॥ थुक सलेषम बमी लधुनिती, जुवटे रम, वारोजी ॥ ए दश आशातना महोटी, वजों जिनवर द्वारोजी ॥ क्षमा विजय जिन एणीपरे जंपे, शासन सुर संभालोजी ॥४॥ इति ॥ अथ ज्ञानपंचमी स्तुति. ॥श्रीनेमिः पंचरूपत्रिदशपतिकृतप्राज्य जन्माभिषेक । श्चत्पंचाक्षमत्तद्विरदमदभिदा पंच वक्त्रोपमानः ॥ निर्मुक्तः पंचदेह्याः परमसुखमयप्रास्तकर्मप्रपंचः। कल्याणं पंचमीसत्तपसि वितनुतां पंचमज्ञानवान् वः ॥१॥ संप्रीणन् सच्चकोरान् शिवतिलकसमः कौशिकानंदमूर्तिः ॥ पुण्याब्धिप्रीतिदायी सितरुचिरिव यः स्वीयगोभिस्तमांसि॥ सांद्राणि ध्वंसमानः सकल. कुवलयोल्लासमुच्चैश्चकार । ज्ञानं पुष्याजिनौघः सतपसि भविनां पंचमीवासरस्य ॥२॥ पीत्वा नानाभिधार्था For Private And Personal Use Only

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