Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand
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५०९
॥ विमलेश्वर जक्ष सेवा ( सांनिध्य ) सारे, आपदा कष्ट सवी दुर निवारे, दोलत लक्ष्मी वधारे ॥ मेघविजय कवि रायनो शीश, हैडे भाव धरी जगीश, विनय विजय निशदिश ॥४॥
॥श्री पर्यषणनी थोय ।। ॥ वरस दिवसमां अषाड चोमासुं, तेहमा वली भादरवो मास, आठ दिवस अति खास ॥ पर्व पज्जुसण करो उल्हास, अट्ठाइधरनो करवो उपवास, पोसह लीजे गुरु पास ॥ वडा कल्पनो छ8 करीजे, तेह तणो वखाण सुणीजे, चौद सुपन वांचीजे ॥ पडवेने दिन जन्म वंचाय, ओबव महोबव मंगल गवाय, वीर जिणेसरराय ॥ १॥ बीज दिने दीक्षा अधिकार, सांज समय निरवाण विचार, वीर तणो परिवार ॥ त्रीज दिने श्रीपार्श्व विख्यात, वली नेमीसरनो अवदात, वली नवभवनी वात ॥ चोविशे जिन अंतर तेवीश, आदि जिनेश्वर श्रीजगदीश, तास वखाण सुणीश ।। धवल मंगल गीत गहूंली करीए, वली प्रभावना नित अनुसरीए, अट्ठम तप जय वरीए ॥२॥ आठ दिवस
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