Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

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Page 520
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५०६ रीजी, देजो देवा, शत्रुजय सेवा,कार्य सिद्धि अमारीजी ॥४॥ इति ॥ अथ दीवाळीनी स्तुति ॥ ॥ शासन नायक श्री महावीर, सात हाथ हेमवरण शरीर,हरि लंछन जिनधीर॥जेहनो गौतम स्वामी वजीर, मदन सुभट गंजन वमवीर, सायर परे गंभीर ॥ कार्तिक अमावास्याए निर्वाण, द्रव्य उद्योत करइ नृपजाण, दीपक श्रेणि मंडाण ॥ दीवाली प्रगटयुं अनिधान, पढिम रजनीए गौतम ज्ञान, वर्द्धमान धरु ध्यान ॥ १ ॥ चउवीस ए जिनवर सुखकार, पर्व दीवाली अति मनोहार, सकल पर्व शिणगार ॥ मेराइआं करेइ अधिकारी, महावीर सर्वज्ञाय पद सार, जपीये दोय हजार ॥ मझीम रजनी देव वंदीजे, महावीर पारंगनाथ नमीजे, तस सहस दोय गुणीजे ॥ वली गौतम सर्वज्ञाय नमीजे, पर्व दीवाली इणीपरी कीजे, मानव भव फल लीजे ॥ २ ॥ अंग ग्यार उपांगजबार, पयन्ना दस छ छेद मूल च्यार, नंदी अनुयोग छार ॥ छ लाखने छत्रीस हजार, चउद पूरव विरचे For Private And Personal Use Only

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