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३९८ हलि छे आपणी हाथ हो ॥ १३ ॥ हो० ॥ हो बेनि खाओ पीओ सुख भोगको, मकरो चिंता लगार हो। हो बेनि जे जोइयें ते मुजने कहो, ते आणुं निरधार हो ॥ १४ ॥ हो० ॥ हो बेनि जिननो प्रासाद करावशं, महितल राखशुं नाम हो ॥ हो बेनि इजत ते आपणा घरतणी, खोशुं किम करी नाम हो ॥१५॥ ॥ हो० ॥ हो बेनि सोढाने हाथे सोपसुं, ए गोडीपुर गाम हो ॥ हो बेनि चालोने आपणे सह तिहां, हं लेइ आq दाम हो ॥ १६ ॥ हो० ॥ हो बेनि अनुक्रमे चाल्या सहु मलि, गोडीपुर गाम मझार हो ॥ हो बेनि जिन-प्रासाद करावियो, काजलशाहे तिणवार हो । ॥ १७ ॥ हो०॥
॥ ढाल ॥ १४ ॥ देरे शिखर चडावीओ, थिर न रहे तिणीवार होजी ॥ काजल मनमां चिंतवे, हवे कुण करशुं प्रकारजी ॥ १८॥ भविजन सांभलो नावसुं ॥ बीजीवार चढावीओ, पडे हेठो ततकाल जी॥ सोहणामहो जक्ष आवीने, कहे मेहराने सुविलासजी ॥ ज० ॥ १९ ॥ तुं चढावे जश्ने, थिर रहेशे शिर
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