Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

View full book text
Previous | Next

Page 492
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्रापत्रा यदीया तनुरतनुरवो नन्दकोनोदको नो॥ ॥१॥ राजी राजीववका तरलतरलसत्केतुरङ्गत्तुरङ्गव्यालव्यालग्नयोधाचितरचितरणेभीतिहयातिहृद्या । सारा साराजिनानामलममलमेतबोंधिका माधिकामा, दव्या दव्याधिकालाननजननजरात्रासमानासमाना ॥२॥ सद्यो सद्योगभिदागमलगमलयाजैनराजीनराजी नूता नूतार्थधात्रीह ततहततमः पातकापातकामा । शास्त्री शास्त्री नराणां हृदयहृदयशोरोधिकाबाधिका वादेया, देयान्मुदं ते मनुजमनुजरां त्याजयन्ती जयन्ती ॥३॥ याता या तारतेजाः सदसि सदसिभृत्कालकान्ताल. कान्ता, पारिं पारिन्द्रराजं सुरवसुरवधूजितारं जितारम । सात्रासात्रायतांत्वामविषमविभृद्भषणाभीषणा, भीही नाहीनान्यपत्री कुवलयवलयश्यामदेहामदेहा ॥ ४ ॥ ॥ अथ महावीरजिनस्तुतिः ॥ नमदमराशरोरुहस्त्रस्तसामोद निर्निद्रमन्दारमा लारजोरञ्जितांई धरित्रीकृतावन वरतम संगमोदारतारोदितानङ्गनार्यावलीलापदेहेक्षितामोहिताक्षोभवान् । मम वितरतु वीर निर्वाणशर्माणि जातावतारो धरा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539