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|| स्तन पांच ||
|| जगजीवन जग वाल हो । ए देशी ॥
श्री सीमंधर साहिबा, वीनतडी अवधार लाल रे || परम पुरुष परमेसरू, आतम परम आधार लाल रे ॥ श्रीसी० ॥ १॥ केवलज्ञान दिवाकरु, भांगे सादि अनंत लाल रे ॥ भासक लोकालोकना, ज्ञायक ज्ञेय अनंत लाल रे || श्री० ॥ २ ॥ इंद्र चंद्र चक्की, सुरनर रहे कर जोड लाल रे || पद पंकज सेवे सदा, हुं तें एक कोड लाल रे ॥ श्री० ॥ ॥३॥ चरण कमल पिंजर वसें, शुभ मन हंस नित मेव लाल रे || चरण शरण मोहि आशरो, भवभव देवाधिदेव लाल रे || श्री० ॥ ४ ॥ अधम उद्धारण छो तुम्हे, दूर हरो भव दुःख लाल रे || कहे जिन हर्ष मया करी, देजो अविचल सुख लाल रे | श्री० ॥ ५ ॥ इति ॥
॥
॥ स्तवन चोथुं ॥
॥ चालो सोरठ देश देखावो रसीआ || चालो
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