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ર૪ર नवकारनो काउसग्ग, पछी नमोऽहत्० कही श्रुतदेवतानी थुई कहेवी, पछी पच्चखाण करवां, आ प्रमाणे चैत्यवन्दननी विधि छे.
॥ हवे ज्ञाननी पूजा भणाववानी विधि कहे छे. ॥
नवपद मध्येथी-दुहा-सप्तमपद श्री ज्ञाननो, सिद्ध चउदपद मांहि, आराधीजे शुभमने, दिनदिन अधिक उच्छाह ॥१॥
छंद गाथा अन्नाणसम्मोहतमोहरस्स सातमा पदनी पूजा नणाववी पछी “ॐ ही परमात्माने नमः" ज्ञानपदेभ्यः कलशं यजामहे स्वाहाः ॥ एम कहीने ज्ञानने फरती कलशथी धारावाडी देवी,पछी वास क्षेप तथा रुपानाणुं हाथमां लइने, थोय कहेवी.
॥जिन जोजनभूमि, वाणिनो विस्तार ॥ प्रभु अथ प्रकाशे, रचना गणधर सार॥सोय आगम सुणतां, छेदाजे गतिचार ॥ प्रभु वचन वखाणी, लईये भवनो पार ॥१॥ आ थोय कहीने ज्ञान पुजवू, प्रथम वासक्षेपनी पुजा करे पछी द्रव्य पूजा करे, पछी चोखा निर्मलबे हाथे पसली भरीने, उपर पैसो सोपारी
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