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राजा पालशे राज्य तो॥ दीन दीन एक एक बीजोरु खाय तो ॥ जीभ तणे रसे इंद्रीए चोरतो, एह बीजोरे राखीओ हारतो ॥ ते०॥ रा०॥१५॥एक दिने चिठी आवी जिनदास तो, राये बोलावी आपण पास तो ॥ उठो शेठजी बीजोरु लावज्यो, शेठने उठतां लागी छे वार तो, तेणे समयों मनमा नवकार तो॥ देवता उठीने लाग्योजी पाय तो ॥ ते०॥रा० ॥ १६ ॥ एक पूरवतणी सांभलो वात तो, राजाने खोळे विशम्यो रास तों, लोक मांहि महिमा घणो ॥ अनुभव सुरतरु जय जय कारतो ।। परभव पामशो मोक्षद्वार तो ॥ ॥ते॥रा०॥१७॥पोतनपुरतणी सांभलो वात तो, मदन नामे एक श्रावक सारतो, तेहनी बेटी छे श्री. मति, परणी छे मिथ्याविने घेर तो, धर्म उपर द्वेष छे घणो, तेणे राखीयो घडामाहि सापतो, नवकार प्रभावे थई फूलनी मालतो ॥१८॥ रत्नपुरी नगरे यशोभद्र राय तो, तेहनो बेटो शिवकुमार तो, सात व्यसननो सेवन हारतो, पर वचन सेवे घj, मात पिता कुटुंब सहु परिवार तो, केण न माने कोय तणुं, संकट पडे समर्या नवकार तो, फरश्याथी उठी नीक
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