________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२८९
अंग उषंगे || वर्णवस्यूं तिम रंगे रे ॥ ६० ॥ १ ॥ कंचन म करतल पद सोहे, भवी जननां मन मोहे रे ॥ ध० ॥ अंक रतनमय नख ससनेहा, लीहोताक्ष मध्य रेहा रे ॥ ६० ॥ २ ॥ गात्र दृष्टी कंचनमय सारी, नाभी ते कंचन क्यारी रे || || रीष्ट रतन रोमेराजी विराजे, चंचुक कंचन छाजे रे ॥ ६० ॥ ३ ॥ श्रीवत्स ते तपनीय विशाला, होठ ते लाल प्रबाला रे || ध० ॥ दंत फटिकमय जीभ दयालु, वलि तपनीय मयनुं तालुं रे ॥ ध० ॥ ४ ॥ कनक नासिका तिहां सुविशेषा, लोहीताक्षनी रेखा रे ॥ ध० ॥ लोही ताक्ष रेखित सुविसाला, नयन अंक रतनाला रे ॥ ६० ॥ ५ ॥ अच्छि पत्ति मुहावलि कीकि, रीष्ट रतनभय नीकी रे ॥ ध० ॥ श्रवण निलावटी गुणसाला, कंचन झाक झमाला रे ॥ ध० ॥ ६ ॥ वज्र रतनमय अतिहि सुहामणी, सीस घडी सुखखाणी रे ॥ ६० ॥ केस भुमि तपनीय नीवेसा, राष्ट रतनमय केसा रे ॥ घ० ॥ ७ ॥ पुंढे छत्र धरे प्रत्येके, प्रतिमा एक विवेके रे ॥ ६० ॥ दोय पासे दोय चामर ढाले, लीला ए जिनने उवारे रे ॥ ध० ॥ ८ ॥
૧૯
For Private And Personal Use Only