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१२३ जाणजो हो लाल ॥ तुज प्रतिबोधन आज ॥सा०॥ शेठ सानिध्य करवा वली हो लाल, कधिं में सवी काजे ॥ सा० ॥ पर्व०॥ २ ॥ साहेबजी धर्म उद्यम करे जे सदा हो लाल, जावं छं सुणी वात ॥ सा० ॥ तेलिक हालिक रायने हो लाल, प्रति बोधन अवदात ॥सा०॥ पर्व॥३॥ तिहां जई पूर्वभव तणा हो लाल, रूप देखावे तास ॥ सा०॥ देखीने ते पामीया हो लाल, जाति स्मरण खास ॥ सा० ॥ पर्व०॥ ४ ॥ ते बेउ श्रावक थया हो लाल, पाल नित षट पर्व ॥ सा०॥त्रणे ते नर रायने हो लाल, सहाय करे ते सुपर्व ॥ सा०॥ पर्व०॥ ५॥ निज निज देशनी वारता हो लाल, मारी व्यसन सवि जेह ॥ सा० ॥ चैत्य करावे तेहवा हो लाल, प्रतिमा भरावे तेह सा०|| ॥पर्व०॥६॥ संघ चलावे सामटा हो, लाल, स्वामीवहल भली भाते॥सा० ॥ पर्वदिन नित्य नगरमां हो लाल, पडहअमारी विख्यात ॥ सा० ॥ पर्व० ॥७॥ पर्व तिथि सहु पालता हो लाल, राजा प्रजा बहु धर्म ॥ सा० ॥ इति उपद्रव सहु टळे हो लाल, नहि
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