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हो शास्त्र अनुसार के ॥ अनिवृत्ति नवमुं आदरं ॥ ॥ ए आंकणी ॥१॥ बंध कह्यो बावीसनो, वली कीजे हो एहना पंच भाग के ॥ पुरुषवेद संज्वलन चारे, एकेके हो कीजे ए त्यागके । अनि० ॥ २ ॥ उदय हुवे छासट्ठीनो, हास्य रतिने हो वली अरति निवारके ॥ भयसोग दुगंछा खटतणो, नवि लही हो उदये विचार के ॥ अनि० ॥ ३॥ उदीरणा त्रिसट्ठीनी, सत्ता दाखी हो बीजा भाग मझारके॥ थावर तिार नरय दुग, आतप दुग हो थीण त्रिग निरधारके । ॥ अनि० ॥ ४ ॥ एकेंद्रिय विगल साधारण, ए सोलेहो सत्ता नवा होय के ॥ एकसो बावीस उपरे, बीजे लागे हो सत्ता तुं जोयके ॥ अनि० ॥ ५ ॥ त्रीजे भागे सांभलो, क्षय थाये हो बीयतीय कसाय के ॥ चोथे पांचमे खटभागे, सात आठमे हो एकसो चार थायके ॥ अनि० ॥६|| नउमे सो त्रिण उपरे, नपुंसक हो स्त्री वेद खट हासक ॥ पुंवेद संज्वलन ए त्रण्ये, क्षय होवे हो नागे अनुक्रमे जासके । अनि० ॥७॥ नवमा भागने छेहमे, मायानो हो प्रनु भाख्यो अंत
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