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Achar
नंदने ॥ त्रीस लाख कोड सागर संभव अजितने हो लाल,संभव अजितने॥पचास लाख कोड सागर अजीत जिन ऋषभने हो लाल, अजित जिन ऋषभने । एक कोडा कोड सागर ऋषभने वीरने हो लाल, ऋषभने वीरने, ॥ ६॥ सहस बैंतालीस तीन वरस वली जा. णीए हो लाल, वरस वली जाणीये ॥ साडा आठ महिना उणा ते वखाणीये हो लाल उणा, ते वखाणीये ॥ नवसे एंसी वरले होइ पुस्तक वांचना हो लाल, पु. स्तक वांचना ॥ अंतर काल जाणो जिन चोवीसनो हो लाल, के जिन चोवीसनो ॥७॥
॥ ढाल ॥ ४॥ दोन सकल मनोहर ॥ ए देशी ॥
॥ जयो आदि जिणेसर, त्रिभुवननो अवतंस ॥ नाभी राजा मरुदेवा, कुल मानुं सर हंस || सर्वार्थ सिद्धथी, चवि इक्ष्वाकु भूमि वरठाम ॥ अताड वदी चोथे अवतर्या पुरुष प्रसन्न ॥ १ ॥ चैत्र वदी आठमे, जन्म्या श्री जिनराय ।। आवे इंद्र इंद्राणी, प्रभुजीना गुणगाय ॥ सुनंदा सुमंगला, वरिया जोवन पाय ॥भरतादिक एकसो, पुत्र पुत्री दो थाय॥२॥ करी रा
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