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उपमा तसहोय ललना॥ज्ञा०॥३॥ ज्ञान पछी जिनराजने, अरिहंत पद होय भोग्य, ललना || भोगवतुं ते ज्ञाननो, उपदेश कहेवो जे योग्य ललना ॥ ज्ञा० ॥४॥ ज्ञान पछी किरिया कही, दशवैकालिक वाणी ललना, ज्ञान गुणे मुनि कह्या, उत्तराध्ययन प्रमाण ललना ॥ ज्ञा०॥५॥ दीपक घट देखावशे, घटथी दीपक न देखाय ललना || अप्रतिपाती ज्ञान गुण सही, महानिशीथे कहेवाय ललना ॥ ज्ञा० ॥ ६ ॥ अधिकुं सर्व पातिक थकी, अज्ञानी जाणे न चोज ललना || आतम स्वरूप जाण्या विना, जीम फिरे जंगल रोज ललना ॥ ७ ॥ किरीया विण बहु सिद्धि लहे, तापसादिक दृष्टांत ललना || गजबेठे मरुदेवीने, आपी में मुक्ति एकांत ललना ॥ ज्ञा० ॥ ८ ॥ अज्ञानवादी इम कहे, यापे मोक्ष न ज्ञान ललना ॥ उत्तर धर्मसंग्रहणीथी, करजो मुज बहु मान ललना ॥ ज्ञा० ॥ ९ ॥ जीव ने ज्ञान अभेद छे, मुजवीण जीव अजीव ललना || अक्षरनो अनंतमो, भाग उघाडो सदैव ललना ॥ ज्ञा०॥१०॥ क्रिया नये जे बाल बे, ज्ञान नये उजमाल ललना ॥ मुनिने
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