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प्रस्तावना
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होता है । जिसकी भुजाएँ लम्बी होती हैं, वह व्यक्ति श्रेष्ठ होता है । जिसका हृदय विस्तीर्ण है, वह धन-धान्यशाली और जिसका मस्तक विशाल है वह मनुष्यों में पूजनीय होता है । जिस व्यक्ति का नयनप्रान्त लाल है, लक्ष्मी कभी उसका परित्याग नहीं कर सकती । जिसका शरीर तप्तकांचन के समान गौरवर्ण है, वह कभी भी निर्धन नहीं होता । जिसके दांत बड़े होते हैं, वह कदाचित् मूर्ख होता है तथा अधिक लोम वाला व्यक्ति संसार में सुखी नहीं हो सकता । जिसकी हथेली चिकनी और मुलायम हो वह ऐश्वर्य भोग करता है । जिसके पैर का तलवा लाल होता है, वह सवारी का उपयोग सदा करता है । पैर के तलवों का चिकना और अरुणवर्णं का होना शुभ माना गया है ।
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जिस व्यक्ति के केश ताम्रवर्ण और लम्बे तथा घने हों वह पच्चीस वर्ष की अवस्था में पागल या उन्मत्त हो जाता है । इस प्रकार के व्यक्ति को चालीस वर्ष की अवस्था तक अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं । जिस व्यक्ति की जिह्वा इतनी लम्बी हो, जो नाक का अग्रभाग स्पर्श कर ले, तो वह योगी या मुमुक्षु होता है । जिसके दाँत विरल अर्थात् अलग-अलग हों और हँसने पर गर्तचिह्न दिखाई दे, उस व्यक्ति को अन्य किसी का धन प्राप्त होता है और यह व्यक्ति व्यभिचारी भी होता है । जिस व्यक्ति के चिबुक- - ठोड़ी पर बाल न हों अर्थात् जिसे दाढ़ी नहीं हो तथा जिसकी छाती पर भी बाल न हों, ऐसा व्यक्ति धूर्त, कपटी और मायाचारी होता है । यह व्यक्ति अपने स्वार्थ-साधन में बड़ा प्रवीण होता है। हाँ, बुद्धि और लक्ष्मी दोनों ही उसके पास रहती हैं ।
मस्तक पर विचार करते समय बताया गया है कि मस्तक के सम्बन्ध में चार बातें विचारणीय हैं— बनावट, नसजाल, विस्तार और आभा । बनावट से विचार, विद्या और धार्मिकता के माप का पता चलता है । मस्तक की हड्डियाँ यदि दृढ़, स्निग्ध और सुडौल हैं तो उपर्युक्त गुणों की मात्रा और प्रकार में विशेषता रहती है | बेढंगी बनावट होने पर उत्तम गुणों का अभाव और दुर्गुणों की प्रधानता होती है ।
नस-जाल - मस्तक के नसजाल से विद्या, विचार और प्रतिभा का परिज्ञान होता है । विचारशील व्यक्तियों के माथे पर सिकुड़न और ग्रन्थियाँ देखी जाती हैं । रेखाविहीन चिकना मस्तक प्रमाद, अज्ञान और लापरवाही का सूचक है ।
विस्तार में मस्तक की लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई सम्मिलित हैं । मस्तक नीचे की ओर चौड़ा हो और ऊपर की ओर छोटा हो तो व्यक्ति झक्की होता है । नीचे चपटे और चौड़े माथे में विचार, कार्यशक्ति और कल्पना की कमी तथा उदारता का अभाव रहता है । ऐसा व्यक्ति उत्साही होता है, परन्तु उसके कार्य बे-सिर-पैर के होते हैं। चौड़ा और ढालू मस्तक होने पर व्यक्ति चालाक, चतुर और पेट के प्रायः मलिन होते हैं । उन्नत और चौड़े ललाट वाले व्यक्ति