Book Title: Avashyak Sutra
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlalji J S Gyanbhandar

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Page 9
________________ 60 Truth of५७ पुत।६।२ ५७ ५॥४-3. नमो वीतरागाय. -- यानयुत सहित सटी આવશ્યક સૂત્રનું ભાષાંતર. - -- पूज्यः श्रेष्ट गुणै रहो जिनवरः शांतिः सदा शांतिदो, भव्यानां हितकारकः सुनगरे प्राल्हादने संस्थितः सद बुद्धि प्रभवः गुणाढ्य वृषभश्चंद्रश्च सुश्रावकः सौहार्दा मन इंदिरा वरमती श्राद्धी सुपत्नी तयोः ॥१॥ जातश्च पुत्रो मुनिमोहनस्य, शिष्योऽभवद्दहर्षगुरो प्रसादात् माणिक्य नामा स्वपरैकहिंता मावश्यके वैविवृणोतिभाषां ॥२॥ ॥ युग्म ॥ ટીકાકારનું મંગળાચરણ, प्रणिपत्य जिनवरेंद्रं वीरं श्रुतदेवतां गुरुन् साधून आवश्यकस्य विवृति, गुरुपदेशादहं वक्ष्ये ॥१॥

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