Book Title: Anusandhan Swarup evam Pravidhi
Author(s): Ramgopal Sharma
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुसंधान के प्रकार/11 का कार्य यह हो गया है कि हम विभिन्न स्थितियों का सर्वेक्षण करके मौलिक तथ्य प्रस्तुत करें । विश्वविद्यालयों के विभिन्न विषयों के शोधार्थियों के लिए सर्वेक्षण करना भी एक महत्त्वपूर्ण शोध कार्य हो गया है। उदाहरणार्थ, यदि कोई यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करे कि किसी क्षेत्र विशेष में किन-किन धर्मों के लोग अपने धर्म के नियमों का वास्तव में पालन करते हैं तथा कितने लोग ऐसे हैं, जो केवल अन्य लोगों की नकल करके केवल लोकाचार निभाने के लिए धार्मिक व्यवहार दिखाते हैं, तो इस प्रकार का शोध कार्य सर्वेक्षणात्मक शोध ही कहा जायेगा। इस प्रकार के शोध-कार्य के लिए विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा करके तथा विभिन्न व्यक्तियों से सम्पर्क साध कर प्रश्नावली के उत्तर प्राप्त करना एवं निष्कर्षों तक पहुँचना आवश्यक होता है। किन्तु उपलब्ध सामग्री के आधार पर विश्लेषण-विवेचन करके ही निष्कर्ष निकालने होते हैं । 6. प्रयोगात्मक शोध शोध का यह प्रकार आजकल बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, किन्तु यह सभी विषयों पर लागू नहीं हो सकता। विज्ञान के विषयों में ही इस प्रकार की शोध की जा सकती है। इसके लिए विषय के अनुसार व्यवस्थित प्रयोगशाला आवश्यक होती है, जहाँ बैठकर शोधकर्मी अपना कार्य करता है। प्रयोगशाला के लिए आवश्यक यंत्र, रसायन आदि तो जुटाने ही पड़ते हैं, साथ ही उसे जलवायु की दृष्टि से भी नियंत्रित करना होता है। शोधार्थी निर्धारित सीमा में आवश्यक उपकरणों का सहारा लेकर अपनी परिकल्पना के अनुसार प्रयोग पर प्रयोग करता जाता है तथा जो परिणाम निकलते जाते हैं, उनका आकलन भी करता जाता है। विज्ञान के समान ही मनोविज्ञान विषय के लिए भी प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है । इस विषय में भी प्रयोगों द्वारा नये अनुसंधान किये जाते हैं, किन्तु यह प्रयोगशाला विज्ञान की प्रयोगशाला से भिन्न प्रकार की होती है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रयोगात्मक शोध के लिए यंत्रादि उपकरण तो जुटाये जाते हैं, किन्तु उनमें प्रयोग का विषय मनुष्य ही होता है। यों चूहों, पक्षियों आदि पर भी आरंभिक प्रयोग मनोविज्ञान- वेत्ताओं ने किये हैं, किन्तु उन सब का लक्ष्य मनुष्य ही रहा है ! उसी के अन्तर्मन की खोज और मौलिक तथ्यों तथा सिद्धान्तों का प्रतिपादन प्रयोगात्मक शोध का लक्ष्य रहा है। चिकित्सा विज्ञान में भी प्रयोगात्मक शोध का ही प्रयोग होता है। यहाँ भी प्रयोगशालाओं, यंत्रादि उपकरणों जलवाय-नियंत्रित कक्षों आदि की आवश्यकता होती है. किन्तु यहाँ विभिन्न रसायनों के साथ मनुष्य शरीर भी प्रयोग का विषय बनता है। भौतिक विज्ञानों में जीव-विज्ञान के अनुसंधान से इसका सीधा सम्बन्ध है। दोनों में ही जीवधारी पर प्रयोग किये जाते हैं, किन्तु चिकित्सा विज्ञान में अन्य जीवों की तुलना में मनुष्य को अधिक प्रयोग का विषय बनाया जाता है। साथ ही, चिकित्सा विज्ञान में भौतिक विज्ञान क्षेत्र के वनस्पति विज्ञान का भी विकसित प्रयोग-क्षेत्र काम आता है। विभिन्न वनस्पतियों का भी औषध-गुण प्रयोगात्मक पद्धति से चिकित्सा विज्ञानी शोध लेते हैं। For Private And Personal Use Only

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