Book Title: Anusandhan Swarup evam Pravidhi
Author(s): Ramgopal Sharma
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतिहास की अनुसंधान-प्रविधि __इतिहास” शब्द बहुत विस्तृत अर्थ रखता है। किसी भी विषय-ज्ञान, विज्ञान साहित्य कला का अपना अलग इतिहास हो सकता है। होता भी है। किन्तु यहां हम सीमित अर्थ में ही इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, यहां इतिहास से हमारा तात्पर्य किसी देश के इतिहास से है। जहाँ यह अर्थ सीमित है, वहाँ इसकी व्यापकता भी बहुत है। किसी देश का इतिहास केवल राजा-महाराजाओं या शासन का इतिहास ही नहीं होता एवं उसमें विभिन्न राज्यों के उत्थान-पतन या पारस्परिक युद्धों का ही वर्णन नहीं होता, बल्कि उस देश की विभिन्न जातियों के उत्थान-पतन की विस्तृत व्याख्या भी उसमें होती है। किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति का वह दर्पण होता है। अतः इतिहास के इस सीमित किन्तु व्यापक अर्थ को समझने के पश्चात् ही उसके किसी पक्ष को शोध का विषय बनाया जा सकता वस्तुतः मानव-सभ्यता का सम्पूर्ण ज्ञान पाने का एकमात्र साधन इतिहास ही होता है। अतः इतिहास लिखना और समझना दोनों ही जटिल कार्य है। मनुष्य स्वयं भी एक अत्यन्त जटिल जीवन वाला प्राणी है। उसके कार्यकलाप ऐसी-ऐसी विभिन्न घटनाओं को जन्म देते हैं जिनकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। वह एक क्षण कुछ होता है और दूसरे क्षण कुछ हो जाता है । वह कभी रूढ़ियों का समर्थन करता है और कभी उन्हें तोड़ता है। वह क्रोध में आकर युद्धों का जनक बनता है और प्रेम तथा दया से ओत-प्रोत होने पर शान्ति की बात करता है। शासन चलाना राजनीति हो सकती है, किन्तु राजनीति से प्रमाणित करके परिवर्तन लाना तथा समस्त समाज को नई परिस्थितियों में पहुँचा देना उसका ऐसा कार्य होता है, जो नये इतिहास को जन्म देता है। समाज बदलते हैं, सत्ता-परिवर्तन होते हैं, सांस्कृतिक और धार्मिक उथल-पुथल मचती है, किन्तु सब बातों के पीछे ऐतिहासिक कारण छिपे रहते हैं । इतिहास ही उन सब घटनाओं और परिवर्तनों का आकलन करता है। ऐसे गंभीर विषय का शोध-कार्य भी सरल नहीं होता। विज्ञान के विषयों में प्रयोग आदि के For Private And Personal Use Only

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