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42 / अनुसंधान : स्वरूप एवं प्रविधि
चित्रकार पिकासो के प्रभाव से भी आधुनिक कला- शैलियों का विकास हुआ है। इस प्रकार चित्रकला के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रान्ति हुई है। इस क्रांति को समझ पाना और तदनुकूल कलाभ्यास कराना तथा छात्रों की कला-दृष्टि को नये आयाम देना प्रत्येक उच्चस्तरीय कलाध्यापक का मुख्य कर्तव्य होता है। इसी कर्तव्य के पालन के लिए उसे कला-सम्बन्धी शोध कार्य में निरन्तर प्रवृत्त रहने की आवश्यकता होती है।
पूर्वोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि चित्रकला में भी शोध कार्य की बड़ी महत्ता है। हर कलाध्यापक को शोध - दृष्टि सम्पन्न तो होना ही चाहिए, साथ ही उसे शोध का अच्छा अभ्यास भी होना चाहिए। शोध-दृष्टि और शोध - अभ्यास के साथ-साथ उसे शोध-सम्बन्धी इतिहास का ज्ञान भी होना चाहिए।
चित्रकला और इतिहास
वस्तुतः चित्रकला किसी भी देश की संस्कृति के स्वरूप को सुरक्षित रखती है । हर काल में मानव-समाज की विभिन्न गतिविधियों, मनोवृत्तियों और कलात्मक प्रवृत्तियों का आकलन चित्रकला के माध्यम से सहज रूप में हो जाता है। अतः किसी भी देश के किसी भी काल के इतिहास में चित्रकला की स्थिति को देखना- परखना और समझना-समझाना एक अच्छे कलाकार का प्रमुख कार्य होता है। इस दृष्टि से चित्रकला और इतिहास का विशेष सम्बन्ध होता है । चित्रकार को अतीतकालीन चित्रकला के विभिन्न स्वरूपों और शैलियों तथा उनकी विशेषताओं से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए। यह परिचय शोध कार्य करने पर ही हो सकता है। अतः कलाध्यापक को चित्रकला के क्षेत्र में अच्छी पहुँच के लिए प्रत्येक युग के इतिहास की चित्रकला के विभिन्न आयामों का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। यह कार्य तभी संभव हो सकता है जब वह देश के इतिहास का अच्छा ज्ञाता हो ।
चित्रकला और साहित्य
साहित्य मानव समाज की विभिन्न कालों में संचित महत्त्वपूर्ण अनुभूतियों, भावनाओं और विचारधाराओं का रचनात्मक कोश होता है। चित्रकला भी मानव समाज की इसी सम्पत्ति को फलक पर रंगों रूपायित करती है। साहित्य और चित्रकला दोनों में भाव, विचार तथा कल्पना का समान सम्मिश्रण रहता है। अतः चित्रकार को साहित्य को समझने की गंभीर दृष्टि भी अपनानी पड़ती है। इसके लिए यह आवश्यक होता है कि वह साहित्य को पढ़ने और समझने की रुचि का अपने भीतर विकास करे । यही रुचि उसे अपने छात्रों में भी विकसित करनी होती है। साहित्य में तीव्र गति से नये-नये परिवर्तन हो रहे हैं तथा लेखन- शैलियों का विकास हो रहा है। उसे भी उसी गति से समझते चलना चित्रकला के शोधकर्मी के लिए आवश्यक नहीं तो सहायक अवश्य है 1
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