Book Title: Anusandhan Swarup evam Pravidhi
Author(s): Ramgopal Sharma
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुसंधान की प्रविधियाँ/19 7. विविध ज्ञानात्मक शोध-प्रविधि शोध की पूर्वोक्त प्रविधियाँ किसी-न-किसी रूप में त्रुटिपूर्ण हैं। कोई भी प्रविधि सर्वांशतः सत्य की सीमा पर नहीं पहुँचाती । इसलिए कुछ विद्वानों का मत है कि शोध की प्रविधि विविध ज्ञानात्मक होनी चाहिए। जिस विषय का अनुशीलन करना हो, उसको समाजशास्त्रीय मनोवैज्ञानिक प्रयोग, मनोविश्लेषण आदि दृष्टियों से तो देखना ही चाहिए, साथ ही अन्य ज्ञान-दृष्टियों की भी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। जीवन अनेक समस्याओं से प्रस्त है, अत: हमारा साहित्य तथा कलाएँ उनसे मुक्त कैसे हो सकती हैं ? शोधकर्ता को चाहिए कि उन समस्याओं पर अपना ध्यान केन्द्रित कर शोध की विविध ज्ञानात्मक दृष्टि से उनका अध्ययन करे, तभी एकांगी अनुशीलन की प्रवृत्ति समाप्त हो सकती है। इस प्रविधि के समर्थक विद्वान् यह मानते हैं कि इसी पद्धति से शोध का गुणात्मक विकास संभव है। (ब) साहित्यिक शैली-प्रविधि साहित्यिक कृति का अनुसंधान साहत्यिक शैली की प्रविधि से ही संभव है। प्राकृतिक विज्ञानों के समान साहित्य का अनुशीलन गणित या सांख्यिकी विधि के प्रयोग से नहीं हो सकता । साहित्यिक कृति को समझने के लिए व्याख्यात्मक शैली अपनानी पड़ती है। भावों को समझाने के लिए दो और दो चार का गणित काम नहीं आ सकता। अत: साहित्यिक शोध के लिए साहित्यिक शैली-प्रविधि का प्रयोग ही उचित होता है । 1. धारणात्मक शैली-प्रविधि इस पद्धति में अनुसंधान के लिए धारणा-परक विवेचन का रूप अपनाया जाता है। शोधकर्ता कुछ धारणाएँ निश्चित करके उनके अनुसार प्रश्नावली चुनता है और कृति या पाठक से उनके उत्तर प्राप्त करने की चेष्टा करता है । वह निर्धारित धारणाओं से उत्पन्न समस्याओं के समाधान खोजता है। 2. वैज्ञानिक शैली प्रविधि ___ इस शैली का प्रयोग वैज्ञानिक विषयों में ही संभव है, जहाँ भाँति-भाँति के रासायनिक प्रयोग करके परिणाम देखे जाते हैं। साहित्यिक एवं कलात्मक विषयों में इस प्रविधि के प्रयोग का अर्थ यही है कि शोधकर्ता की परिकल्पना पूर्णतः वस्तुगत हो तथा वह ऐसी प्रश्नावली का सहारा ले, जिससे अधिकाधिक सत्य का उद्घाटन हो सके। समाजशास्त्रीय विषयों में इस प्रविधि का प्रयोग प्रश्नावली के आधार पर किये गये नमूनों के सर्वेक्षणों से किया जाता है। 3. प्रयोगात्मक शैली-प्रविधि इस शोध-प्रविधि का प्रयोग सामाजिक विज्ञानों में अधिक सार्थक होता है। विज्ञान के विषयों में प्रयोग की पद्धति सर्वाधिक सार्थक सिद्ध होती है। साहित्य जीवन की अभिव्यक्ति होता है, अत: उसका अनुसंधान इस प्रविधि से अधिक नहीं हो सकता। किन्तु For Private And Personal Use Only

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