Book Title: Anusandhan Swarup evam Pravidhi
Author(s): Ramgopal Sharma
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मानविकी अनुसंधान की वैज्ञानिक पद्धति प्रसिद्ध विद्वान स्टुअर्ट के मतानुसार विज्ञान शोध की पद्धति में निहित है. विषय-वस्तु में नहीं। इस मान्यता के अनुसार किसी भी शोध विषय में वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। हम अध्ययन के लिए कोई भी विषय चुन सकते हैं, किन्तु उसके अध्ययन की पद्धति वैज्ञानिक ही होनी चाहिए। आजकल विश्वविद्यालयों में जो अनुसंधान-कार्य सम्पन्न होता है, उसमें मानविकी विषयों में प्रायः वैज्ञानिक पद्धति की उपेक्षा कर दी जाती है। इसका कारण यह होता है कि अधिकांश शोधार्थियों को वैज्ञानिक पद्धति का न तो पूर्वज्ञान होता है, न उन्हें इस सम्बन्ध में कोई प्रशिक्षण ही दिया जाता है। कई शोध-निर्देशक भी वैज्ञानिक शोधप्रक्रिया से परिचित नहीं होते । परिणामतःसाहित्यिक विषयों में मात्र आलोचनात्मक आलेख प्रस्तुत कर दिये जाते हैं और इतिहास, दर्शन आदि में केवल विवरणात्मक सामग्री सामने आती है । इस स्थिति में शोध का उद्देश्य पीछे छूट जाता है तथा उसका स्तर भी दिनोंदिन गिरता चला जाता है। वस्तुतः शोध के कई रूप है । कभी-कभी केवल उद्देश्यहीन निरीक्षण एवं जिज्ञासा से भी उच्चकोटि के शोध का परिणाम सामने आता है । उदाहरणार्थ,विज्ञान के क्षेत्र में न्यूटन को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का बोध उद्देश्यहीन किन्तु जिज्ञासापूर्ण निरीक्षण से हुआ था। जब उसने वृक्ष से "सेब" फल नीचे गिरता देखा तथा अन्य पदार्थ भी ऊपर फैंकने पर नीचे गिरते देखे, तो उसके मस्तिष्क में यह विचार उत्पन्न हुआ कि निश्चय ही पृथ्वी की कोई शक्ति ऊपर जाने वाले सभी पदार्थों को नीचे खींच रही है। बस, इसी निरीक्षण का फल हुआ “पृथ्वी” की गुरुत्वाकर्षण की शक्ति का परिज्ञान । सोद्देश्य शोध के लिए विषय का चयन तो आवश्यक होता ही है, साथ ही उस विषय की विशिष्ट परिकल्पना का चयन भी,जो नहीं करता तो उसका शोध-कार्य दिशाहीन हो जाता है और वह अन्धकार में तीर मारता रहता है। प्रायः यह कहा जा सकता है कि For Private And Personal Use Only

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