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अनुक्रम
प्रथम खण्ड
अध्याय १
अहिंसा का आदिस्रोत; सामाजिक अस्तित्व और अहिंसा; आत्मा का अस्तित्व और अहिंसा; भागवान् ऋषभ और अहिंसा; प्राणातिपात विरमण और अहिंसा; भगवान पार्श्व; भगवान् महावीर; मुनिधर्म; गृहस्थ-धर्म; अहिंसा के सन्दर्भ में नैतिक निर्देश; सत्य के सन्दर्भ में नैतिक निर्देश; अचौर्य के सम्बन्ध में नैतिक निर्देश; ब्रह्मचर्य के संदर्भ में नैतिक निर्देश; परिग्रह के संदर्भ में नैतिक निर्देश; तीन गुणवत; चार शिक्षाव्रत ।
अध्याय २
अहिंसा; अहिंसा की परिभाषा; अहिंसा का स्वरूप; अहिंसा की मर्यादा; अहिंसा का व्यावहारिक हेतु; अहिंसा का नैश्चयिक हेतु; आत्मौपम्य-दृष्टि; अहिंसा के दो रूप; नकारात्मक अहिंसा; अहिंसा आत्म-संयम का मार्ग; अहिंसा : अपनी-अपनी दृष्टि में; अहिंसा की समस्या; आत्म-रक्षा; शस्त्र-विवेक ।
अध्याय ३
हिंसा; हिंसा की परिभाषा; हिंसा के प्रकार; अर्थ-दण्ड; अनर्थ-दण्ड; हिंसा-दण्ड; अकस्मात्-दण्ड; दृष्टि-विपर्यास-दण्ड; हिंसा के निमित्तः मित्र-दोष-निमित्तक; मान-निमित्तक; माया-निमित्तक; लोभ-निमित्तक; त्रस जीवों की हिंसा के निमित्त; स्थावर जीवों की हिंसा के निमित्त; अज्ञानवश हिंसा; स्थावर जीवों की दशा और वेदना; हिंसा सबके लिए समान; हिंसा-विरति का उपदेश; हिंसा के परिणाम का निर्णय; हिंसा का सूक्ष्म विचार; अधिकरण; हिंसा का विवेक और त्याग; हिंसा जीवन की परवशता ।
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