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[क] प्राचार्य सिद्धसेन १-सिद्धसेन का समय २-सिद्धसेन की प्रतिभा ३-सन्मतितर्क में अनेकान्त स्थापन ४-जैन न्यायशास्त्रों की आधारशिला परिशिष्ट १-बार्शनिक साहित्य का विकास क्रम
१-आगम युग २- अनेकान्त व्यवस्था युग ३-प्रमाण व्यवस्था युग
४-नव्यन्याय युग २-प्राचार्य मल्लवादी और उनका नयचक्र
१--मल्लवादी का समय २-नयचक्र का महत्त्व ३-दर्शन और नय ४-सर्वदर्शनसंग्राहक जैनदर्शन ५---नयचक्र की रचना की कथा ६-कथा का विश्लेषण ७-नयचक्र और पूर्व ८-नयचक्र की विशेषता
E---नयचक्र का परिचय ३-पारिभाषिक और विशेष नामों की सूची
२७६-२६२ २८१ २८५ २८६ २६१ २६३-३१८ २६४ २६५ २९७
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३०० ३०१
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