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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
वे नैरयिक यावत् देव किसी का भी आयुष्य नहीं बांधते । अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी चारों प्रकार का आयुष्यबन्ध करते हैं । नीललेश्यी और कापोतलेश्यी का आयुष्यबन्ध भी कृष्णलेश्यी के समान है । तेजोलेश्यी का आयुष्यबन्ध सलेश्य के समान है । परन्तु अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी जीव तिर्यञ्च, मनुष्य और देव का आयुष्य बांधते हैं । इसी प्रकार पद्मलेश्यी और शुक्ललेश्यी जीवों को कहना ।
कृष्णपाक्षिक अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी चारों ही प्रकार का आयुष्यबन्ध करते हैं । शुक्लपाक्षिकों का कथन सलेश्य के समान है । सम्यग्दृष्टि जीव मनःपर्यवज्ञानी के सदृश वैमानिक देवों का आयुष्यबन्ध करते हैं । मिथ्यादृष्टि का आयुष्यबन्ध कृष्णपाक्षिक के समान है । सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव एक भी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं करते । उनमें नैरयिकों के समान दो समवसरण होते हैं । ज्ञानी से लेकर अवधिज्ञानी तक के जीवों को सम्यग्दृष्टि जीवों के समान जानना । अज्ञानी से लेकर विभंगज्ञानी तक के जीवों को कृष्णपाक्षिकों के समान है । शेष सभी अनाकारोपयुक्त पर्यन्त जीवों को सलेश्य जीवों के समान कहना । पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीवों के समान मनुष्यों को कहना । विशेष यह है कि मनःपर्यवज्ञानी
और नोसंज्ञोपयुक्त मनुष्यों का आयुष्यबन्ध-कथन सम्यग्दृष्टि तिर्यञ्चयोनिक के समान है । अलेश्यी, केवलज्ञानी, अवेदी, अकषायी और अयोगी, ये औधिक जीवों के समान किसी भी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं करते । शेष पूर्ववत् । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक जीवों को असुरकुमारों के समान जानना ।
भगवन् ! क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे अभवसिद्धिक नहीं, भवसिद्धिक हैं । भगवन् ! अक्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी । इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों को समझना । भगवन् ! सलेश्य क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक हैं | भगवन् ! सलेश्य अक्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक ? गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी हैं । इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी भी जानना । शुक्ललेश्यी पर्यन्त सलेश्य के समान जानना ।
भगवन् ! अलेश्यी क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक हैं । इस अभिलाप से कृष्णपाक्षिक तीनों समवसरणों में भजना से भवसिद्धिक हैं। शुक्लपाक्षिक जीव चारों समवसरणों में भवसिद्धिक हैं । सम्यग्दृष्टि अलेश्यी जीवों के समान हैं । मिथ्यादृष्टि जीव कृष्णमाभिक के सदृश हैं । सम्यमिथ्यादृष्टि जीव अज्ञानवादी और विनयवादी में अलेश्यी जीवों के समान भवसिद्धिक हैं । ज्ञानी से लेकर केवलज्ञानी तक भवसिद्धिक हैं । अज्ञानी से लेकर विभंगज्ञानी तक कृष्णपाक्षिकों के सदृश हैं ।
चारों संज्ञाओं से युक्त जीवों सलेश्य जीवों के समान है । नोसंज्ञोपयुक्त जीवों सम्यग्दृष्टि के समान है । सवेदी से लेकर नपुंसकवेदी जीवों सलेश्य जीवों के सदृश है । अवेदी जीवों सम्यग्दृष्टि के समान है । संकषायी यावत् लोभकषायी, सलेश्य जीवों के समान जानना । अकषायी जीव सम्यग्दृष्टि के समान जानना । सयोगी यावत् काययोगी जीव सलेश्यी के समान हैं । अयोगी जीव सम्यग्दृष्टि के सदृश हैं । साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त जीव सलेश्य जीवों के सदृश जानना । इसी प्रकार नैरयिकों के विषय में कहना, किन्तु उनमें जो