Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 05
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 19
________________ १८ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद अक्रियावादी भी हैं और अज्ञानवादी भी हैं । इसी प्रकार पृथ्वीकायिक आदि जीवों में जो पद संभवित हों, उन सभी पदों में अक्रियावादी औ अज्ञानवादी हैं, ये ही अनाकारोपयुक्त पृथ्वीकायिक पर्यन्त होते हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों तक सभी पदों में मध्य के दो समवसरण होते हैं । इनके सम्यक्त्व और ज्ञान में भी ये दो मध्यम समवसरण जानने चाहिए । पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीवों का कथन औधिक जीवों के समान है, किन्तु इनमें भी जिसके जो पद हों, वे कहने चाहिए । मनुष्यों का समग्र कथन औधिक जीवोके सदृश है । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक जीवों का कथन असुरकुमारों के समान जानना । भगवन् ! क्रियावादी जीव नारकायु बांधते हैं । तिर्यञ्चायु बांधते हैं, मनुष्यायु बांधते हैं अथवा देवायु बांधते हैं ? गौतम ! क्रियावादी जीव मनुष्यायु और देवायु बांधते हैं । भगवन् ! यदि क्रियावादी जीवे देवायुष्य बांधते हैं तो क्या वे भवनवासीदेवायुष्य बांधते हैं, यावत् वैमानिकदेवायुष्य बांधते हैं ? गौतम ! वे वैमानिक-देवायुष्य बांधते हैं । भगवन् ! अक्रियावादि जीव नैरयिकायुष्य यावत् देवायुष्य बांधते हैं ? गौतम ! वे नैरयिकायुष्य यावत् देवायुष्य भी बांधते है । इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों के आयुष्य-बन्ध को समझना । ___ भगवन् ! क्या सलेश्य क्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे नैरयिकायुष्य नहीं बांधते इत्यादि सब औधिक जीव के समान सलेश्य में चारों समवसरणों का कथन करना । भगवन् ! क्या कृष्णलेश्यी क्रियावादी जीव, नैरयिक का आयुष्य बांधते हैं ? इत्यादि । गौतम ! वे केवल मनुष्यायुष्य बांधते हैं | कृष्णलेश्यी अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी जीव, नैरयिक आदि चारों प्रकार का आयुष्य बांधते हैं । इसी प्रकार नीललेश्यी और कापोतलेश्यी के विषय में भी जानना । भगवन् ! क्या तेजोलेश्यी क्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि । गौतम ! वे मनुष्यायुष्य और देवायुष्य भी बांधते हैं । भगवन् ! यदि वे देवायुष्य बांधते हैं तो क्या भवनवासी, यावत् वैमानिक देवायुष्य बांधते हैं ? पूर्ववत् जानना । भगवन् ! तेजोलेश्यी अक्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि । गौतम ! वे तिर्यञ्चायुष्य यावत् देवायुष्य बांधते हैं । इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी को जानना। तेजोलेश्यी के आयुष्य-बन्ध के समान पद्मलेश्यी और शुक्ललेश्यी के आयुष्यबन्ध को जानना | भगवन् ! अलेश्यी क्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि । गौतम ! नैरयिक यावत् देव, किसी का आयुष्य नहीं बांधते । भगवन् ! कृष्णपाक्षिक अक्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं । इत्यादि । गौतम ! वे नैरयिक आदि चारों प्रकार का आयुष्य बांधते हैं । इसी प्रकार कृष्णपाक्षिक अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों के आयुष्यबन्ध को जानना । शुक्लपाक्षिक जीव सलेश्यी जीवों के समान आयुष्यबन्ध करते हैं । भगवन् ! क्या सम्यग्दृष्टि क्रियावादी जीव नैरयिकायुष्यबन्ध करते हैं ? इत्यादि । गौतम ! वे मनुष्य और देव का आयुष्य बांधते । मिथ्यादृष्टि क्रियावादी जीव का आयुष्यबन्ध कृष्णपाक्षिक के समान है । भगवन् ! सम्यग्मिथ्यादृष्टि अज्ञानवादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि । गौतम ! अलेश्यी जीव के समान जानना । इसी प्रकार विनयवादी जीवों को जानना । ज्ञानी, आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी का कथन सम्यग्दृष्टि के

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