Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(२६)
अश्या (३३) नाइदूरमणासने नत्रेसिं चक्षुफासओ। एगोचिडेज मत्तहालंघिया तं नाइकमे
॥३३॥-39 नाइउम्खेवनीए वा नासन्ने नाइदाओ। फासुयं परकडं पिण्हं पडिगाहेजसंजए
॥३४॥-34 अप्पपाणेऽप्पबीयम्पिपडिच्छन्नम्मि संखुडे । समयं संजए मजे जयं अपरिसाडियं
॥३५॥-35 सुकडेत्ति सुपक्कैत्ति सुच्छिन्ने सुहडे मडे। सुणिट्ठिए सुलद्धित्ति सावजं वजए मुणी
॥३६॥-38 (१७) रमए पण्डए सासं हयं महंव वाहए। पालं सम्मइ सासंतो गलियस्सं व याहए
॥३७॥-37 (३८) खड्या मे चवेडा मे अकूकोसाय वहा य मे। कल्लाणमणुसासंतो पावदिष्ठित्ति मन्नई
||३८||-38 (३९) पुत्तो मे माय नाइ ति साहू कालाण मत्राई। पावदिष्टि उ अप्पाणं सासंदासे त्ति मन्नई
३९||-38 (ro) नकोवए आयरियं अप्पणंपिन कोवए। बद्धोयघाई नसिया नसिया तोत्तगयेसए
t|४00-40 आयरियं कुवियं नधा पत्तिएण पसायए। विझवेज पंजलीउडो वएशन पुणोतिय
॥४१॥-41 धम्मजिपंचववहारं बुद्धेहायरियं सया। तमायरंतो घवहारंगरहनाभिगच्छई
I ||-42 (४३) मनोगयं वककगयंजाणित्तायरियस्सउ ।
तं परिगिझवायाए कम्मुणा उववायए वित्ते अचोइए निचं खिप्पंहवइ सुचोइए। जहोदइट्ट सुकयं किम्बाई कुव्वईसया
Imu-44 (४५) नद्या नमइ मेहावी लोए कित्ती से जायए। हवई किमाणं सरणं भूयाणंजगई जहा
IN५||46 (४६) पुजाजस्सपसीयंति संबुद्धा पुब्बसंयुया। पसना लाभइस्संति विउलं अष्ट्रिय सुर्य
||६|-48 (४७) स पुञ्जसत्ये सुविनीयसंसए मणोरुई घिद्वइ कम्मसंपया।
तवोसमायारिसमाहिसंयुडे महसुई पंच वयाइंपालिया ॥1-47 स देवगंधव्वमणुस्सपुइए चइत्तुदेहं मलपंकपुव्वयं ।। सिद्धे वा हवइ सासए देवे वा अप्परए महिड्दिए। तिमि॥ ll-40
• पहम अज्ययणं समातं.
बीयं अझयणं-परीसहपविभत्ती| (re) सुयं मे आउसंत्तेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु बाचीसंपरीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पयेइया जे भिक्खू सोचा नया जिया अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्ययंती
HYIK49
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