Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
८६
www.kobatirth.org
(१४१२) तहा पपणुवाई य उवसंते जिईदिए एक्जोगसमाउतो पहले तु परिणमे (१४१३) अट्टरुद्दाणि यचित्ता धम्मसुककाणि झाथए पसंतचित्ते दंतप्पा समिए गुत्ते य गुत्तिषु (१४१४) सरागे यीयरागे या उवसते जिइंदिए
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एयजोगसमाउत्तो सुक्कलेसं तु परिणमे (१४१५) असंखिजाणोसप्पिणीण उस्सप्पिणीण जे समया संखाईया लोगा लेसाण हवंति ठाणाई
उत्तरायणापि - ३४/१४१२
(१४१६) मुहुत्तखं तु जहत्रा तेत्तीसा सागरा मुहुत्तहिया उक्कोसा होइ ठिई नायव्या किण्हलेसाए (१४१७) मुहुत्तन्द्रं तु जरुन्ना दस उदही पलियमसंखभागमममहिया उक्कोसा होइ ठिई नायव्या नीललेसाए (१४१८) मुहतद्धं तु जहा तिष्णुदही पलियमसंखभागमन्महिया उक्कोसा होइ लिई नायव्या काउलेसाए (१४१९) महत्तद्धं तु जत्रा दोष्णुदही पलियमसंखभागममहिया उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा तेउलेसाए (१४२०) मुहुत्तद्धं तु जहना दस होति य सागरा मुहुत्तहिया उक्कोसा होइ ठिई नायव्या पम्हलेसाए
(१४२१) मुहुत्तद्धं तु जहन्ना तेत्तीसं सागरा मुहुत्तहिया उक्कोसा होइ ठिई नायव्या सुक्कलेसाए (१४२२) एसा खलु लेसाणं ओहेण ठिई उ वण्णिया होइ चउसु विगईसु एतो लेसाण ठिनं तु वोच्छामि (१४२३) दस वाससहरसाई काउए ठिई जहनिया होइ
तिष्णुदही पलिओवमं असंखभागं च उक्कोसा (१४२४) तिष्णुदही पलिओयम असंखभागो जइत्रेण नीलठिई दसउदही पनि ओथम असंखभागं च उक्कोसा (१४२५) दसउदी पलिओयम असंखमागं जहनिया होइ तेत्तीससागराई उक्कोसा होइ किण्डाए (१४२३) एसा नेरइयाणं लेसाण ठिई उ वण्णिया होइ तेण परं वोच्छामि तिरियमणुस्साण देवाणं (१४२७) अंतोमुहुत्तमद्धं लेसाण लिई जहिं जहिं जाउ तिरियाण नराणं वा यचित्ता केवलं लेसं (१४२८) मुहुत्तद्धं तु जहत्रा उक्कोसा होइ पुव्वकोडीओ नवहि वरिसेहि ऊणा नायव्वा सुक्कलेसाए (१४२९) एसा तिरियनराणं लेसाण ठिई उ वण्णिया होइ ते परं वोच्च्छामि लेसाण ठिईउ देवानं
For Private And Personal Use Only
॥१३२१-३०
।।१३२२॥ -31
11937311-32
||१३२४।।-33
11933411-34
||१३२६॥-95
॥१३२७॥-36
||१३२८|| -37
॥१३२९ ॥ -38
11933011-39
1193391-40
॥१३३२॥ -41
||१३३३॥ -42
||१३३४|| -43
।1१३३५|| -44
।।१३३६|| 48
||१३३७॥ -48
१३३८|| -47

Page Navigation
1 ... 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114