Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 102
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 7411-72 19/II-TR ||१४|७||-74 ||१४४ -76 १४४९||-78 ११४५०||-77 ||१४५७||-78 ॥१४५२||-79 अमाप (१५५३) किण्हा नीला यरूहिया य हालिबासुक्किला तहा पण्डुपणगमट्टिया खरा छत्तीसईविहा (१५३७) पुढवी य सक्करा वालुया य उवले सिला य लोणूसे अय-तब तउय-सीसग रूप-सुवण्णेय बहरे य (१५३८) हरियाले हिंगुलुए मणोसिला सासगंजण-पदाले अब्भपडलब्बवालुय बायरकाए मणिविहाणा (१५३९) गोमेजए यरूएगे अंके फलिहे य लोहियक्वेय मागय-मसारगले भुयभोयग-इंदनीले य (१५४०) चंदण-गेरुय हंसगो पुलए सोगंथिए य बोधग्वे चंदप्पहवेरुलिए जलकंते सूरकते य (१५४१) एए खरपुटवीए मेया छत्तीसमाहिया एगविहमणाणत्ता सुहमा तत्य वियाहिया (१९४२) सुहुमा सव्वलोगम्मि लोगदेसे य बायरा इत्तो कालविभागंतु वुच्छंतेसिं चउब्विहं (१५४३) संतई पप्पणाईया अपज्जवसियाविय ठिइंपडुन साईया सपञ्जवसिया य (१५४४) बावीससहस्साई वासाणुकोसिया भये आउठिई पुढवीणं अंतीमुहुतं जहन्नयं (१५४५) असंखालमुक्कोसं अंतीमुहतं अहवयं कायठिई पुढवीणं तं कायं तु अमुंचओ (१५४१) अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहत्तं जहन्नयं विजदम्मि सएकाए पुढविजीवाण अन्तरं (१५४७) एएसिवण्णो देव गंधओरसफासओ संठाणदेसओ वावि विहाणाइंसहस्ससो (१५४८) दुविहा आऊजीया उ सुहमा बायरा तहा पञ्चत्तमपञ्जत्ता एवमेए दुहा पुणो (१५४१) बायराजे उ पञ्जत्ता पंचहा ते पकितिया सुद्धोदए य उस्से हरतणु महिया हिमे (१५५०) एगविहमणाणत्तासुमा तत्यवियाहिया सुहमा सव्वलोगम्मि लोगोंदेसे य बायरा (१५५७) संतई पप्पणाईया अपञ्जवसियाविय ठिई पडुन साईया सपञ्जवसिया भवे (१५५३) सत्तेव सहस्साईवासामुक्कोसिया भवे आउठिई आऊणं अन्तोमुत्तं जहनिया (१५५३) असंखकालमुक्कोसं अंतोमुहत्तं जहन्नयं कायठिई आऊणं तं कायं तु अमुंवओ ॥१४५३।1-80 ||१४५४||-81 १४५५11-82 ॥१४५६।।-89 ||१४५७1-84 ||१४५८-85 ||१४५९॥-86 ||१४६०||-87 1979-88 ११४६२1-89 For Private And Personal Use Only

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