Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥१४८१||-100
||१४८२||-109
11१४८३||-110
1१४८४||-111
॥१४८५11-112
।।१४८३|-119
11१४८७||-114
||१४८८11-115
अगाप-११ (१५७२) दुविहा तेऊजीवा उ सुटुमा वापरा तहा
पझतमपञ्जत्ता एवमेए पुहा पुणो (१५७३) बायराजे उ पञ्जता गहा ते यियाहिया
. इंगाले मुम्मुरे अगणी अछिजाला तहेवय (१५७४) उक्काविषेय बोधव्याणेगहा एवमायओ
एगविहमणाणत्ता सुहमा ते वियाहिया (१५७५) सुहुमा सव्वलोगम्मि लोगदेसे य बायरा
इत्ती कालविभागं तु तेसिंबुच्छंचउविहं (१५७५) संतईपप्पणाईया अपञ्जवसियाविय
ठिई पडुछ साईया सपञ्जवसियाविय (१५७७) तिण्णेव अहोरता उक्कोसेणं वियाहिया :
आउठिई तेऊणं अंतोमुहुत्तं जहनिया (१५७८) असंखकालमुक्कोसं अंत्तोमुहत्तं जहन्नयं
कायढिईतेऊणं तं कायंतु अमुंचओ (१५७१) अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहतंजहत्रयं
विजदंमि सएकाए तेऊजीवाण अंतरं (१५८०) एएसि यण्णओचेव गंधओरसफासओ
संठाणदेसओ वावि विहाणाइंसहस्ससो (१५८१) दुयिहा बाउजीवा उ सुहमा वापरा तहा
पद्धत्तमपञ्जत्ता एवमेए दुहापुणो (१५८२) बापराजे उ पंयत्तापंचहा ते पकितिया
उक्कलिया मंडलिया घणगुजा सुद्धवाया य (१५८३) संवट्टगवाते यणेगहाएवमायओ
एगविहमणाणत्ता सुहमा तत्य दिआहिया (१५८४) सुहमा सव्वलोगम्मि लोगदेसे य बायरा
इत्तो कालविमागं तु तेसिं वुच्छंचउव्विहं (१५८५) संतइंपप्पणाईया अपञ्जवसियायिय
ठिई पडुछ साईया सपञ्जवसियाचिय (१५) तिण्णेव सहस्साई यासाणुक्कोसिया भवे
आउठिई वाऊणं अंतोमुहुत्तं जहनिया (१५८७) असंखकालमुक्कोसं अंतोमुहुत्तं जहनयं
कायठिई वाऊणं ते कायं तु अमुंचओ (१५८८) अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहत्तंजहन्नयं
विजदमि सए काए वाऊजीवाण अंतरं (१५८२) एएसिवण्णओ चेव गंधओ रसफासओ
संठाणदेसओ वावि विहाणाईसहस्ससो
॥१४८९॥-116
॥१४९०11-117
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॥१४९४11-121
॥१४९५|-122
॥१४९६||-122
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