Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० परमपाणि-24/ ॥१५७०।-108 ॥१५७१॥-107 ॥१५७२11-198 ॥१५७३||-199 ||१५७४||-200 ||१५७५11-201 11१५७६||-202 ||१५७७||-203 (१४) संमुछिमाण एसेव मेओ होइ वियाहिओ लोगस्सएगदेसम्मि ते सव्वे वि वियाहिया ( १२) संतइंपपणाईया अप्पञ्जवसियाविय पिबुध साईयासपञ्जवसियाविय (१९३) पलिओवमाउ तित्रिय उक्कोसेण विडिया आउहिई मणुयाणं अंतोमुहत्तंजानिया (Hur) पलिओवमाईतिष्णि उ उक्कोसेण वियाहिया पुव्यकोडिपुहत्तेणं अंतोमुत्तंजहनिया (११५५) कायठिई मणुयाणं अंतरं तैसिमं मवे अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहत्तं जहनयं (१५) एएसिवण्णओ घेव गंधओ रसफासओ संठाणदेसओ वावि विहाणाईसहस्ससो (१६६७) देवा घउन्विहा वुत्ता ते पे कित्तयओ सुण भोमिझयाणमंतरजोइसयेमाणियातहा (114) दसहाउ भवणवासी अहहा वणचारिणी पंचविहा जोइसिया दुविहा येमाणिया तहा (१९५९) असुरा नागसुवण्णा विजू अग्गी वियाहिया दीवीपहिदिसा वाया पणिया भवणवासियो (१९७०) पिसायभूपाजक्खा य रक्खसा किनरा किंपुरिसा महोरगाय गधव्या अडविहा वाणमंतरा (१९७१) चंदासूर य नक्खत्ता गहा तारागणा तहा ठिया विचारिणो चेवपंचहाजोइसालया (१८७२) धेमाणिया उजे देवा दुविहाते वियाहिया कप्पोवगायबोधव्या कप्पाईयातहेवय (१९७५) कप्पोवगा बारसहा सोहम्मीसाणगा तहा सणंकुमारमाहिंदा बंपलोगाय तंतगा (817) महासुक्का सहस्सारा आणया पाणया तहा आरणाअधुया घेव इइ कप्पोवगा सुरा (१९७५) कप्पाईया उजे देवा दुविहा ते वियाहिया गेविजानुत्तराचेव गेविना नवविहा तहिं (61७1) हेतिमाहेद्विमा चेव हेडिमामज्झिमा तहा हेडिमाउइयरिमा चेव मज्झिमाहेडिमा तहा (110) मन्झिमामझिमा घेव मज्झिमाउवरिमा तहा उपरिमाहेष्ठिमा धेव उपरिमामज्झिमा तहा ||१५७८11-204 ||१५७९||-205 ॥१५८०11-208 ||१५८१1-207 ॥१५८२।।-208 ।।१५८३||-209 ||१५८४11-210 ॥१५८५11-211 ॥१५८६॥-212 For Private And Personal Use Only

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