Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 108
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१५५३||-179 ॥१५५४||-180 १५५५||-181 ॥१५५६||-182 ||१५५७||-163 ।।१५५८-184 ||१५५९1-185 १५६०11-188 अखप ( m) एगखुरा दुखुरा व गण्डीपयसणहप्पया हयमाइगोणमाइ गयभाइसीहमाइणो (१५४५) मुजोरगपरिसप्पा य परिसप्पा दुविहा पदे गोहाई अहिमाई य एककेककाणेगहा मवे (१५४६) लोएगदेसे ते सव्वे न सव्वत्य दियाहिया एतोकालविभागं तु तेसिं दोच्छं चउलितं (१९४७) संतई पप्पणाईया अपज्जवसियाविय ठिई पडुछ साईया सपञ्जवसियाविय (१५४८) पलिओवमाउंतिण्णि उ उक्कोसेण वियाहिया आउडिईयलयराणं अंतोमुत्तंजहनिया (१६४९) पलिओवमाउ तिणि उ उक्कोसेण यियाहिया पुवकोडिपुहत्तेण अंतोमुहत्तं जहन्निया (१९५०) कायठिई थलरायणं अंतर तेसिमं पदे कालमनंतमुक्कोसं अंतोमुहुतं जहप्रयं (१९५१) विजदंमिसए काए यलयराणं तु अंतरं चमे उ लोमएक्खी य तइया समुग्गएक्खिया (१९५२) विययपक्खी य बोधव्या पविखणो य चउबिहा लोएगदेसे ते सव्वेन सव्यत्य वियाहिया (१९५३) संतई पप्पणाईया अपञ्जवसियाविय ठिई पडुन साईया सपञ्जवसियाविय (१६५४) पलिओवमस्स भागो असंखेनाइमे पवे आउठिई खहयराण अंतोमुहुतं जहनिया (१६५५) असंखमाग पलियस्स उक्कोसेण उ साहिओ पुवकोडीपुहतेण अंतोमुहतं जहरिया (१६५६) कायठिई खहपराणं अंतरं तेसिमं मवे अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहत्तंजहन्नयं (१९५७) एएसि वष्णवो चेवगंधओरसफासओ संठाणदेसओ पावि विहाणाईसहस्ससो (१९५८) पणुया दुविहमेया उ ते मे कित्तयओ सुण समुच्छिपा य पणुया गम्भवक्कंतिया तहा (१६५९) गमवक्कंतिया जे उ तिविहा ते वियाहिया कम्पअकम्मभूया य अंतरद्दीवया तहा (१६६०) पारस तीसइविहा पेया अहवीसई संखा उ कमसो तेसिं इइएसा वियाहिया ||१५६११1-187 ।।१५६२||-188 ||१५६३||-189 ||१५६४॥-100 ||१५६५||-101 11१५६६/1-192 १५६७||-199 1|१५६८1-194 ॥१५६९।। -195 For Private And Personal Use Only

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