Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(१९९०) उराला तसा जे उ चउहा ते पकित्तिया इंदिय इंदिय चउरो पंचिंदिया चैव (१५९१) बेइंदिया उ जे जीवा दुविहा ते पकित्तिया पत्तमपत्ता तेर्सिए सुणे हमे (१५९२) किमिणी सोमंगला चैव अलसा माइवाइया । वासीमुहाय सिप्पिया संख संखणगा तहा (१५९३) पल्लोयाणुल्लया चैव तठेव य बराडगा
जलूंगा आलगा चैव चंदणा य तहेव य (१५९४ ) इइ बेइंदिया एएऽ गहा एवमायओ
लोगेगदेसे ते सव्वे न सव्वत्य वियाहिया (१५९५) संतई पप्यणाईया अपनयसियाविय
ठिइ पडुच साईया सपञ्जवसियावि य (१५९६) वासाई दारसा चैव उक्कोसेण विद्याहिया बेदियाउठिई अंतीम जहत्रिया (१५९७) संखिजकालमुकुकोर्स अंतो मुहुत्तं जहनयं दिपकायठितं कार्यं तु अमुंचओ (१५९८) अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहुतं जहन्नयं इंदियजीवाणं अंतरं च वियाहिय (१५९९) एएसिं वण्णओ देव गंधओ रसफासओ संठाणदेसओ वावि विहाणाई सहरससो (१६००) तेइंदिया उ जे जीवा दुविहा ते पकित्तिया पत्तमपत्ता तेर्सि भेए सुणेह मे (१६०१) कुंयुपिवीलिङहंसा उक्कलुदेहिया तहा
तणहारकाहारा य मालूगा पत्तहारगा (१६०२) कप्पसङ्किमिंजाय तिदुगा तउसमिंजना
सदावरी व गुम्मी य बोधव्वा इंदगाया (१९०३) इंदगोयगमाईया णेगविहा एवमायओ
लोगेगदेसे ते सव्वे न सव्वत्य वियाहिया (१६०४) संतई पप्पणाईया अपञ्जवसियादि य ठिई पडुन साईया सपञ्जवसियाविय ( १६०५ ) एगूणपण्णहोरता उक्कोसेणं वियाहिया तेइंदिय आउठिई अंतोमहतं जहत्रिया (१६०६) संखित्रकालमुक्कोर्स अंतोमहतं जहनयं इंदियकायठिई तं कायं तु अमुंचओ (१६०७) अनंतकालमुक्कोसं अंतीमहत्तं जहत्रयं तेइंदियजीवाणं अंतरं तु वियाहियं
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उत्तरपणाणि - २६/१५९०
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