Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 101
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरमापणाणि-1/९७८ (१५१८) चउभट्टलोए यदुवे समुद्दे तओगले पीसमहे तपय सयंघ अत्तरं तिरियलोएसमएणेगेण सिझाईधुवं 119४२७१1-54 (१५१९) कहिं पडिया सिद्धा कहिं सिद्धापडिया कहिं बांदि चइताणं कस्य गंतूण सिलाई ||१४२८||-66 (१५२०) अलोए पडिहया सिद्धा लोयग्गेय पइटिपा इहं बांदि चइत्ताणतत्य गंतूण सिनाई ||१४२९॥-50 (१५२१) वारसहिंजोयणेहि सबस्सुवरिं मवे ईसिपब्मारनामा उ पुढवी छत्तसंठिया ॥१४३०॥-67 (१५२२) पणयालसयसहस्सा जोयणाणं तु आयया तावइयं चैव वित्थिण्णा तिगुणो तस्सेव परिअओ 19४३१॥-68 (१५२१) अडजोपणबाहुलासा मझम्मिवियाहिया परिहायंती परिमंते मच्छिपत्ताउ तणुयरी ||१४३२||-50 (१५२१) अझुणसुवण्णगमई सा पुदवी निम्मला सहावेण उत्ताणगच्छत्तगसंठियाय भणिया जिणवरेहि ॥१४३३-80 (१५२५) संखंककुंदसंकासापंडुरा निम्मला सुहा सीयाए जोयणे तत्तो लोयंतो उ वियाहिओ ॥१४३४||-81 (१५२६) जोयणस्स उजो तत्थ कोसो उवरिपोमवे तस्स कोसस्स छब्याए सिद्धाणोगाइणा मवे ||१४३५||-82 (१५३४) तत्थ सिहा महामागा लोगग्गप्पि पइडिया पवपपंचओ मुक्का सिद्धि वरगइंगया ||१४३६||-63 (१५२८) उस्सेहोजेसिजो होइ मयम्मिचरिमभिउ तिमागहीणो तत्तोय सिद्धाणोगाहणा मवे ||१४३७||-84 (१९२३) एगत्तेण साईया अपञ्जवसियाविय पुरुत्तेणअणाइया अपञ्जवसियाविय 11१४३८||-85 (१५३०) अरुविणोजीवघणा नाणदंसणसत्रिया अउलं सुहं संपना उबमाजस्स नत्यिउ ||१४३९||-88 (१५३१) लोगेगदेसे ते सन्चे नाणदंसणसत्रिया संसारपारनित्यिण्णा सिद्धि वरगइंगया amol1-67 (१५३२) संसारत्या उजेजीवा दुविहाते वियाहिया तसायथावरा चेव यावरा तिविहातर्हि ||१/91-68 (११५३) पुढवी आउजीवा य तहेव य वणस्सई इचए थावरातिविहा तेसिं भेए सुणेह मे (१५३४) दुविहा पुढवीजीवा य सुहमा बायरा तहा पञ्जत्तमपञ्जता एवमेवगे दुहा पुणो Ha४३||-70 (१९५५) बायराजे उपञ्जत्ता दुविहातेवियाहिया सण्हा खराय बोधव्या सण्हा सत्तविहातहि || ४२||-69 ४४४||-71 For Private And Personal Use Only

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