Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 100
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अभावर्ण- ३६ www.kobatirth.org (१५००) फासओ गुरुए जे उ मइए से उ वण्णओ गंधओ रस ओ चैव भइए संठाणओविय (१५०१) फासओ लहुए जे उ भइए से उ वण्णओ गंधओ रसओ चैव भइए संठाणओविय ( १५०२) फासओ सीयए जे उ भहए से उ वण्णओ गंधओ रसओ चेय मइए संठाणओविय (१५०३) फासओ उण्हए जे उ भइए से उ घण्णओ गंधओ रसओ चेय भइए संठाणओविय (१५०४) फासओ निद्धए जे उ भइए से उ वण्णओ गंधओ रसओ चैव भइए संठाणओविय (१५०५) फासओ लुक्खए चैव भइए से उ वण्णओ गंघओ रसओ चे भइए संठाणओविय ( १५०६) परिमंडलसंठाणे भइए से उ यण्णओ गंधओ रसओ वेष भइए से फास ओवि य (१५०७) संठाणओ भवे वट्टे भइए से उ वण्णओ गंथओ रसओ चैव भइए से फासओविय ( १५०८) संठाणओ भवे तसे भइए से उ यण्णओ गंध रसओ चैव भइए से फासओवि य (१५०९) संठाणओ जे चउरंसे भइए से उ यण्ण ओ गंध रसओ चे भइए से फासओवि य (१५१०) जे आययसंठाणे मइए से उ वण्णओ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंधओ रसओ धेव मइए से फासओवि य (१५११) एसा अजीवविभत्ती समासेण वियाहिया इत्तो जीवविभत्तिं वृच्छामि अणुपुव्वसो (१५१२) संसारत्या य सिद्धा य दुविहा जीवा वियाहिया सिद्धाणेगविहा वृत्ता तं मे कित्तयओ सुण (१५१३) इत्थी पुरिससिद्धा य तहेव य नपुंसगा सलिंगे अनलिंगे य गिहिलिंगे तहेव य (१५१४) उक्कोसोगाहणाए य जहन्नमज्झिमाइ य उअहे य तिरियं च समुद्दम्मि उलम्मिय (१५१५) दस चैव नपुंसएस वीसं इत्थियासु य पुरिसेसु य अट्ठसयं समएणेगेण सिज्झई (१५१६) चत्तारि य गिहलिंगे अन्त्रलिंगे दसेव य सलिंगेण अट्ठसयं समएणेगेण सिज्झई (१५१७) उक्को सोगाहणाए य सिज्यंते जुगवं दुवे धत्तारि जहत्राए मझे अद्भुत्तरं सयं For Private And Personal Use Only ११ ॥१४०९।-38 ॥१४१०।1-37 11989911-38 ।।१४१२।।-39 ॥१४१३।।-40 ||१४१४|| -41 ।।१४१५।। -42 ॥११४१६।। -43 ।।१४१७।। -44 ।।१४१८|| -45 ||१४१९|| -48 11982011-47 11923911-46 ||१४२२॥ -40 || १४२३|| -50 ||| १४२४।। -51 ।।१४२५।। -52 ॥ १४२६॥ -53

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